टैक्स बचाने के लिए आमतौर पर लोग एक वित्त वर्ष के दौरान तरह-तरह के निवेश विकल्पों का चयन करते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो वित्त वर्ष के आखिरी महीनों में हड़बड़ाहट में आकर टैक्स बचाने के लिए बिना जांचे परखे निवेश कर बैठते हैं. ऐसा करने से उन्हें छोटी अवधि में तो टैक्स बचत का फायदा मिल जाता है, लेकिन उन्हें बाद में परेशानी का सामना भी करना पड़ जाता है. निवेशकों को ऐसा करने से बचना चाहिए.
एक वित्त वर्ष के दौरान टैक्स बचत का फायदा तभी मिलता है जब आप 31 मार्च से पहले किसी टैक्स सेविंग पौलिसी में निवेश करती हैं. ऐसे में जब वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने में एक महीने का ही समय बचा है, हम आपको अपनी इस खबर में एक ऐसी सरकारी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि टैक्स सेविंग में आपकी मदद कर सकती हैं.
आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत सिर्फ 1.50 लाख तक की छूट का ही प्रावधान है, लेकिन अगर आप 80सी के अलावा अतिरिक्त टैक्स छूट का फायदा उठाना चाहती हैं तो सरकार की एक स्कीम आपके लिए काफी बेहतर साबित हो सकती है और उसका नाम है नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस). हम अपनी खबर में आपको इससे जुड़ी हर छोटी बड़ी बात बताने की कोशिश करेंगे.
क्या है मकसद: सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम को ईईटी के तहत रखा है. जिसमें आखिर में मिलने वाले पैसे पर आपके स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स लगता है. यह योजना 1 जनवरी 2004 को लौन्च की गई थी. इस योजना का मकसद समाज के हर तबके के लोगों को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराना है. इससे आप छोटी-छोटी बचत कर जीवन की दूसरी पारी के लिए पैसा जमा कर सकती हैं.
क्या है एनपीएस: पेंशन फंड रेगुलेटरी अथौरिटी ने 18 से 65 साल के लोगों के लिए रिटायरमेंट के बाद की आय की व्यवस्था के लिए ये स्कीम लौन्च की है. इसमें बचत सालों तक लौक इन रहती है. बाद में आपको एन्युटी खरीदने के लिए 80 फीसदी रकम का उपयोग करना होता. एन्युटी मतलब रिटायरमेंट तक इकट्ठा हुई रकम का निवेश करने वाले को नियमित अंतराल से पेमेंट.
अकाउंट के प्रकार
टियर वन अकाउंट: इस अकाउंट से पैसा नहीं निकाला जा सकता है. इसको 500 रुपए या ज्यादा रकम से खुलवाया जा सकता है. आपको सालाना कम से कम 6000 का बेलेंस रखना होता है.
टियर टू अकाउंट: टियर टू अकाउंट स्वैच्छिक अकाउंट होता है. ये टियर वन अकाउंट होने पर ही खुलता है. इसको कम से कम 1,000 के डिपौजिट से खोलना होता है. इसके बाद इसमें कम से कम 250 रुपए का निवेश किया जा सकता है. इस अकाउंट में सालाना 2,000 का बैलेंस होना जरूरी है.
क्या हैं फायदे
टैक्स की बचत: सरकार ने पिछले बजट में एनपीएस के लिए सेक्शन 80सीसीडी के तहत 50 हजार सालाना अतिरिक्त टैक्स छूट का प्रावधान किया है. ये छूट 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की छूट के अतिरिक्त होगी. मतलब आप 2 लाख तक टैक्स छूट का फायदा उठा सकती हैं.
पोर्टेबल: निवेश करने वाले एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर मिलता है जो जगह और नौकरी बदलने पर भी नहीं बदलता है.
नियामक की नजर: एनपीएस का रेगुलेटर पीएफआरडीए है. इसमें एनपीएस ट्रस्ट फंड मैनेजरों की परफौरमेंस को देखता है ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो.
लचीलापन: आप शेयरों (50 फीसदी तक), कौरपोरेट डेट और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश का विकल्प मिलता है. आप पेंशन फंड मैनेजर्स को भी चुन सकती हैं.
कंपनी का योगदान: आपकी कंपनी सैलरी का 10 फीसदी एनपीएस में सहयोग दे सकती है. इस निवेश में 80 सी के अलावा 80 सीसीडी (2) के तहत टैक्स छूट मिलती है.
नेशनल पेंशन स्कीम का मकसद बूढ़े होने पर लोगों की आय को सुनिश्चित करना होता है जिसमें बाजार के रिटर्न भी शामिल हैं. इन 2 वजहों से ही एनपीएस रिटायरमेंट का पैसा जुटाने की अच्छी स्कीम है.
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