अगर आप नए वित्त वर्ष के दौरान टैक्स प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको आयकर की धारा 80सी के बारे में अच्छे से पता होना चाहिए. 80C की मदद से आप कई निवेश विकल्पों के जरिए टैक्स छूट पा सकते हैं. अगर आप यह बात नहीं जानते हैं कि किन-किन जगहों पर किए गए निवेश पर आप 80C के अंतर्गत टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं तो यह खबर आपके काम की है.
आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत, आपकी कुल आय से 1,50,000 रुपए की कटौती का क्लेम किया जा सकता है. सामान्य शब्दों में आप अपनी टोटल टैक्सेबल इनकम में से 80सी के तहत 1,50,000 रुपए तक की टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं. इस तरह की कटौती का फायदा इंडिविजुअल्स और एचयूएफ ले सकते हैं.
देश में अधिकांश करदाता जीवन बीमा, पीपीएफ, भविष्य निधि और गृह ऋण वापसी में निवेश के जरिये आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर छूट का लाभ लेते हैं. लेकिन कहा जाता है कि निवेश का पोर्टफोलियो हमेशा विस्तृत होना चाहिए. इसलिए कुछ ऐसी कम प्रचारित स्कीमें भी हैं, जिनमें निवेश कर आयकर की धारा 80सी के तहत कर छूट का लाभ लिया जा सकता है.
सुकन्या समृद्धि योजना: सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत ‘सुकन्या समृद्धि खाता’ नाम से एक नई योजना आरंभ की गई है. यह एक लड़की के लिए जमा योजना है. करदाता इस खाते में कम से कम एक हजार रुपये और अधिकतम डेढ़ लाख रुपये सालाना का निवेश कर सकते हैं. इसमें निवेश पर 9.1 फीसद का ब्याज मिलता है.
यूलिप: यूलिप का अर्थ है यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान. इसमें इक्विटी निवेशक के साथ जीवन बीमा का दोहरा लाभ मिलता है. यह एक अच्छा निवेश विकल्प हो सकता है क्योंकि यह अच्छा प्रतिफल भी देता है. निवेश पर कर छूट पाने के लिए एक पूर्व शर्त इसमें यह है कि पॉलिसी स्वयं, पति या पत्नी अथवा बच्चे के नाम पर ली गई हो.
ईएलएसएस: ईएलएसएस का मतलब है इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम. मूलत: यह म्यूचुअल फंड में निवेश है. एक बार इस योजना को अपनाने पर आप निवेश की तारीख से तीन वर्ष के अंदर इस निवेश का विमोचन (बिक्री) नहीं कर सकते. इसमें दो विकल्प होते हैं. पहला, जो निवेशक अपनी संपत्ति को अधिकतम बढ़ाना चाहें वे ग्रोथ विकल्प अपना सकते हैं. दूसरा, जो निवेशक स्थिर आय चाहें वे डिविडेंड विकल्प ले सकते हैं
पोस्ट औफिस बचत: राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और किसान विकास पत्र (केवीपी) छोटे निवेश के प्रयोजन से मुख्य रूप से प्रयोग किए जाने वाले बचत बांड हैं. ये बांड पांच से दस वर्ष की परिपक्वता अवधि के साथ डाकघरों में उपलब्ध हैं. इस पर अर्जित ब्याज का पुन: निवेश अन्य स्रोत से आय के रूप में कर योग्य है, हालांकि यह ब्याज 80सी के तहत कटौती योग्य है.
बौण्ड व डिपौजिट स्कीम: इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों द्वारा जारी बांड प्रचलित तौर पर इंफ्रा बौण्ड के रूप में जाने जाते हैं. इन बांडों में निवेश 80सी के तहत कटौती योग्य है. ये बॉण्ड भी अच्छा प्रतिफल देते हैं और इसलिए ये आपके लिए एक कारगर निवेश विकल्प हो सकते हैं.
आवास का स्टांप शुल्क व पंजीकरण शुल्क: अधिकांश करदाताओं को यह जानकारी नहीं है, किंतु मकान के अधिग्रहण के समय स्टांप शुल्क, पंजीकरण शुल्क और अन्य खर्च के लिए चुकाई गई रकम भी आयकर की धारा 80सी के तहत कर कटौती के योग्य है.
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