म्युचुअल फंड्स निवेश करने का सबसे सरल तरीका माना जाता है. अगर आप छोटी राशि से भी निवेश की शुरुआत करते हैं तब भी आपको किसी प्रोफेशनल फंड मैनेजर जितने फायदे मिलते हैं जो आपके पैसों का प्रबंधन करते हैं और इस बात का फैसला लेते हैं कि किस स्टौक या बौन्ड में निवेश करना चाहिए. लेकिन एक निवेशक के रूप में आपको कुछ रणनीतियों को अपनाना चाहिए ताकि म्युचुअल फंड में निवेश कर आप अपने कौर्पस को बढ़ा सकें.

जानिए ऐसी पांच रणनीतियों के बारे में

अपने निवेश को करें डायवर्सिफाई

म्युचुअल फंड से बेहतर रिटर्न पाने के लिए अपने म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो को विभिन्न एसेट क्लास में डायवर्सिफाई करें. इससे आपको लगातार रिटर्न मिलता रहता है. आपको बता दें कि एसेट एलोकेशन और फंड का चुनाव अपने वित्तीय लक्ष्य, निवेश अवधि और जोखिम की क्षमता के आधार पर करना चाहिए.

डायरेक्ट प्लान की करें खरीद

हम अपने निवेश पर ब्रोकर या एजेंट को ब्रोकरेज अमाउंट दे देते हैं जबकि हमारे पास फंड्स को सीधे तौर पर खरीदने का विकल्प भी होता है. आप किसी भी स्कीम को उसकी विशिष्ट एएमसी वेबसाइट पर जाकर खरीद सकते हैं या फिर डायरेक्ट बायइंग के लिए एमएफ यूटिलिटी वेबसाइट के जरिए निवेश कर सकते हैं. विशेषज्ञों की ओर से सुझाव दिया जाता है रेग्युलर प्लान की जगह डायरेक्ट प्लान की खरीद करनी चाहिए. इसका मुख्य कारण यह है कि इनकी कम एक्सपेंस रेश्यो लंबी अवधि में उच्च रिटर्न देने में सक्षम होती है.

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एसआईपी विकल्प का करें चुनाव

एसआईपी या सिस्टेमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान एक तरह की निवेश रणनीति होती है जो निवेश को नियमित और अनुशासित निवेश के लिए प्रेरित करती है. इसमें आप 500 रुपये की न्यूनतम राशि के साथ भी निवेश शुरू कर सकते हैं. एसआईपी का यह फीचर सबसे आकर्षक माध्यम है जिसके जरिए पैसे को बाजार में लगाया जा सकता है.

अपनी उम्र के अनुरूप करें एसेट क्लास में निवेश

अपनी बढ़ती उम्र के अनुरूप इक्विटी और डेट में निवेश करें. इसलिए आपकी जो भी मौजूदा आयु है, उसे 100 में से घटा दें और उस इक्विटी एसेट में उस हिस्से को निवेश कर दें. हालांकि, इस हिस्सो अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार घटा या बढ़ा सकते हैं. अगर थोड़े आक्रामक निवेशक हैं तो अपने इक्विटी निवेश को जरूरत से ज्यादा बढ़ा सकते हैं. वैसे डेट एलोकेशन करने के लिए अपनी उम्र में से 10 घटा दें और जो संख्या आए उसे डेट में निवेश कर दें.

नियमित रूप से करें रिव्यू

सुनिश्चित करें कि आप नियमित रूप से अपने फंड के प्रदर्शन को रिव्यू कर रहे हैं. साथ ही अपनी उम्र, जोखिम क्षमता और वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर पोर्टफोलियो में फेरबदल कर रहे हैं. ऐसा करने से बाजार की स्थिति के हिसाब से आपका निवेश सक्रिय रहता है जिससे निवेश अवधि के दौरान बेहतर रिटर्न मिल पाते हैं. तब तक अपने निवेश को बनाए रखें जबतक कि आपके वित्तीय लक्ष्य पूरे नहीं हो जाते.

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