आयकर रिटर्न फाइल करने के दौरान आमतौर पर लोग सावधानियां बरतते हैं, लेकिन फिर भी कभी कभार छोटी-मोटी गलतियां हो ही जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी इन्हीं छोटी सी गलतियों के कारण आपको आयकर विभाग नोटिस भी भेज सकता है. हालांकि आपको आयकर विभाग के हर नोटिस से घबराने की जरूरत नहीं होती है. हम अपनी इस खबर में आपको बताएंगे कि आयकर विभाग के किस नोटिस का क्या मतलब होता है. जानिए आयकर विभाग आपको किस-किस तरह के नोटिस भेज सकता है-
सेक्शन 139 (9): सेक्शन 139 (9) के तहत आपको नोटिस उस स्थिति में मिल सकता है अगर आपने अपना आईटीआर गलत फौर्म में भर दिया हो, फौर्म और पैन कार्ड में नाम अलग हो, कर राशि का भुगतान न किया हो, टैक्स भुगतान के दौरान स्रोत का उल्लेख न करने पर या फिर अगर आपने टैक्स रिफंड के दावा बिना आय के स्रोत के किया हो. ऐसा नोटिस मिलने पर डेडलाइन से पहले पहले जवाब दे दें. समय रहते जवाब न देने की स्थिति में आपकी ओर से फाइल की गई रिटर्न अवैध मानी जाएगी.
सेक्शन 148: इनकम टैक्स के सेक्शन 148 के तहत असेसिंग औफिसर के पास करयोग्य आय को असेस और री-असेस करने का अधिकार होता है. अगर किसी उसके पास ऐसे प्रमाण हैं जिन से पता चलता है कि किसी वर्ष के दौरान करदाता ने आय या कर को छुपाया हो. यह नोटिस आय के स्रोत का या उससे जुड़ी गणना का उल्लेख न करने पर मिल सकता है.
सेक्शन 245: सेक्शन 245 के तहत नोटिस उस स्थिति में मिल सकता है अगर आपने किसी असेसमेंट ईयर में रिफंड क्लेम करने के लिये रिटर्न फाइल किया है और साथ ही उसी वर्ष आप पर कर देनदारी भी बनती हो. असेसिंग औफिसर आपसे निर्धारित समय के दौरान जवाब देने को कहेगा.
सेक्शन 143 (1): आयकर की इस धारा के अंर्तगत भेजे गए नोटिस का मतलब Intimation Notice होता है. यह नोटिस बताता है कि आपकी ओर फाइल किए गए रिटर्न में क्या गलतियां हैं. इसलिए बेहतर रहेगा कि आप अपने ऊपर बनने वाली कुल टैक्स देनदारी का भुगतान कर दें. ऐसा करने से ये नोटिस अपने आप खारिज हो जाएगा.
सेक्शन 143 (2): इस नोटिस के तहत आयकर विभाग आपसे पूरे साल के दौरान टैक्स से जुड़ी कुछ जानकारियां मांगता है. इस स्थिति में यह बेहतर रहेगा कि आप अपने सीए से संपर्क करें,क्योंकि इस नोटिस का जवाब देने के लिए आपके सीए को ही Appear होना पड़ता है, आप व्यक्तिगत तौर पर इस नोटिस का जवाब देने के लिए प्रस्तुत नहीं हो सकते हैं.
सेक्शन 144: इस प्रकार का नोटिस उस सूरत में आएगा जब आपने रिटर्न फाइल न किया हो या फिर आपने डिपार्टमेंट की ओर से मांगी गई किसी भी जानकारी का जवाब न दिया हो. डिपार्टमेंट की ओर से मांगी गई किसी भी जानकारी का जवाब न दें. इस नोटिस के तहत इनकम टैक्स औफिस के पास यह अधिकार होता है कि वो आपको बता दें कि आप पर कितनी टैक्स देनदारी है. अगर विभाग ऐसा करता है तो आप पेनल्टी और इंटरेस्ट के साथ टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा.
सेक्शन 133 (4)/ 142: इस तरह के नोटिस के जरिए टैक्स डिपार्टमेंट आपसे जानकारी मांग सकता है जिसमें आपकी आपके बैंक में आई और बैंक से निकाली गई राशि के संबंध में जानकारी मांगी जाएगी. साथ ही वह शेयर के पर्चेज और डील की जानकारी भी पूछ सकता है. बेहतर होगा कि अपने सीए से सलाह लिए बगैर जवाब न दें क्योंकि एक बार भेजा गया जवाब दोबारा बदला नहीं जा सकेगा.
VIDEO : पीकौक फेदर नेल आर्ट
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