देश में पानी ही नहीं बिक रहा, साफ हवा भी बिक रही है. यानी कि तकरीबन कुछ भी फ्री नहीं है. 18 वर्ष व इस से बड़ी उम्र के लगभग सभी देशवासियों के बैंक में खाते खुल गए हैं. जिन के खाते नहीं थे, उन लोगों ने इस लालच में खाते खुलवा लिए कि उन के खाते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पैसे डालेगी.

मोदी सरकार का 5 वर्षों का कार्यकाल लगभग पूरा होने को है. खाताधारकों के खाते में मोदी सरकार ने पैसे तो डाले नहीं, उलटे वह तो खाताधारकों से पैसे वसूलने की फिराक में है.

दरअसल, बैंक लोगों को अलगअलग तरह के बैंक अकाउंट खोलने के लिए आमंत्रित करते हैं. हर अकाउंट पर कुछ सेवाएं फ्री दी जाती हैं. इस के लिए शर्त यह होती है कि खाताधारक अपने खाते में मिनिमम बैलेंस को मेंटेन रखे. सरकार का कर विभाग इन फ्री सेवाओं पर इनडायरेक्ट टैक्स वसूलना चाहता है. इस में जीएसटी के कैलकुलेशन का आधार वह रकम हो सकती है, जो मिनिमम अकाउंट बैलेंस मेंटेन नहीं करने वाले ग्राहकों से बैंक लेते हैं.

कर विभाग ने इस को लेकर बैंकों को प्रिलिमिनरी नोटिस जारी किए हैं. इस वजह से बैंक चेक बुक, अतिरिक्त क्रेडिट कार्ड, एटीएम का अतिरिक्त इस्तेमाल, फ्यूल रिफंड सरचार्ज पर मासिक या तिमाही आधार पर 18 फीसदी का गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लग सकता है. यह नोटिस अप्रैल के नोटिस से अलग है. अप्रैल में जो नोटिस जारी किए गए थे, उन में सर्विस टैक्स और पेनल्टी के तौर पर सभी बैंकों से 40 हजार करोड़ रुपए की मांग की गई थी.

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