सुनील अपने घर का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है. एक दिन अचानक बाइक चलाते समय वह दुर्घटना का शिकार हो गया. उस इतनी गंभीर चोटें आईं कि तुरंत सर्जरी करानी पड़ी. उस के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता यदि उस ने सही समय पर स्वास्थ्य बीमा नहीं करवाया होता. उस के औपरेशन व अस्पताल के बाकी सारे खर्च का भुगतान बीमा कंपनी ने ही किया. स्वास्थ्य बीमा, जीवन में आने वाले जोखिम को कम करता है. यह सिर्फ आकस्मिक दुर्घटनाओं  में ही नहीं, बहुत सी बीमारियों के इलाज हेतु भी सुविधाएं प्रदान करता है. किसीकिसी बीमारी पर होने वाला खर्च तो लोगों की जमा पूंजी उड़ा ले जाता है, लेकिन स्वास्थ्य बीमा की सुविधा से उन के घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ने से बच जाती है.

आसान इलाज: स्वास्थ्य बीमा कंपनियों का बहुत से अस्पतालों के साथ टाईअप होता है. इस से बीमाधारक को अच्छे अस्पताल की जानकारी न होने पर भी मुश्किल नहीं होती और अस्पताल की सुविधाओं के लिए भटकना नहीं पड़ता. आमतौर पर इंश्योरैंस कंपनी के पैनल में शामिल अस्पतालों से ही बीमाधारक का इलाज संभव हो जाता है.

टैक्स छूट : स्वास्थ्य बीमा कराने पर प्रीमियम व टैक्सबल इनकम के अनुसार अधिकतम 15 हजार तक की इनकम टैक्स की वार्षिक छूट प्राप्त है.

पौलिसी लेने से पहले

पौलिसी लेने से पहले अच्छी तरह उस की शर्तें जान लें ताकि आप को पौलिसी लेने के पश्चात किसी तरह की परेशानी न हो. जैसे यह जान लें कि जो भी पौलिसी आप ले रहे हैं, उस में कौनकौन सी बीमारियों के इलाज हेतु सुविधाएं दी जाएंगी और किनकिन बीमारियों को उस में शामिल नहीं किया गया. जैसे, आमतौर पर डैंटल और मैटरनिटी खर्चों का भुगतान बीमा कंपनी द्वारा नहीं किया जाता है. लगभग सभी बीमा कंपनियों से हैल्थ इंश्योरैंस क्लेम की सुविधा प्राप्त करने हेतु न्यूनतम 24 घंटों के  लिए अस्पताल में भरती होना आवश्यक होता है. इस के अलावा कुछ कंपनियां अस्पताल में भरती होने से 2 सप्ताह पहले व बाद के इलाज के खर्चों का भुगतान भी करती हैं, वहीं कुछ ऐसा नहीं करतीं. यह सब कुछ बीमा कंपनी की अपनी शर्तों पर निर्भर करता है, इसलिए सभी बातों को सुनिश्चित कर लें. 

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