किसी भी बजट के दो हिस्से होते हैं- आय और खर्च. पारिवारिक हिसाब-किताब का बजट भी इससे बहुत अलग नहीं होता. हां, एक अंतर जरूर होता है- सरकारी बजट में भारी-भरकम घाटे का जिक्र होता है. इसके विपरीत पारिवारिक बजट में कर्ज का ज्यादा बोझ नहीं होता.

दरअसल, बजट भविष्य की आय और खर्चों की एक योजना भर है, जिसका इस्तेमाल खर्च और बचत के दिशा-निर्देश के तौर पर किया जा सकता है. हालांकि हममें से कई अपने-अपने खर्चों को व्यवस्थित करने के लिए बजट बनाते हैं. हमारे आसपास ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो नियमित तौर पर क्षमता से अधिक खर्च करते हैं. आय के हिसाब से सीमित दायरे में खर्च करने का सबसे अच्छा तरीका अपने खर्चों को गहराई से समझना और यह पक्का करना है कि हर हाल में आमदनी से कम खर्च हो. अच्छे मासिक बजट से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि बिलों का भुगतान समय पर किया जा रहा है, आकस्मिक जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त रकम सुरक्षित है और तमाम वित्तीय लक्ष्य हासिल कर लिए गए हैं.

जरूरत की सभी जानकारियां अक्सर पहले से मौजूद होती हैं. अपना बजट दुरुस्त करने का काम आसानी से शुरू किया जा सकता है. कुछ खास तरीके अपनाकर मासिक खर्चों का सटीक हिसाब-किताब लगाया जा सकता है. इस काम के लिए मुफ्त में उपलब्ध बजटिंग कैल्कुलेटर्स भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

खर्चों का हिसाब लगाएं

खर्चों का हिसाब लगाने का सबसे अच्छा तरीका यह पता करना होता है कि आप आम तौर पर एक माह में कितनी रकम खर्च करते हैं. सरसरी खर्चों का ब्योरा तैयार करने के लिए आप इन्हें दो हिस्सों में बांट सकते हैं. मसलन, निश्चित और कभी-कभार होने वाले खर्च. निश्चित खर्च उन्हें कहते हैं, जिनमें हर माह बदलाव नहीं होता. मकान का किराया और इंश्योरेंस के प्रीमियम ऐसे ही खर्च हैं. इसके उलट कम-ज्यादा (फ्लेक्सिबल) होने वाले खर्च की रकम हर माह समान नहीं होती.

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