आवास संबंधी ऋणों को होमलोन, हाउसिंग लोन, हाउसिंग फाइनेंस जैसे नामों से जाना जाता है. कुछ बैंक अपने होमलोन प्रोडक्ट्स के कुछ खास नाम रख देते हैं. आप अपनी आवश्यकता के अनुरूप कोई योजना चुन सकते हैं. प्लाट खरीदने, घर का निर्माण करने, फ्लैट खरीदने, घर का विस्तार या नवीनीकरण करने जैसी सभी जरूरतों के लिए हर बैंक की अपनीअपनी स्कीमें हैं. ऋण देते समय वित्तीय संस्थान मुख्यत 2 बातों पर ध्यान देते हैं. होमलोन की स्थिति में ऋणदाता के लिए यह देखना आवश्यक है कि लोन लेने वाला उसे चुकाने योग्य स्थिति में भी है या नहीं. इस के अलावा यह भी देखा जाता है कि उस संपत्ति की कीमत सही दर्शाई गई है एवं ऋण अदायगी में किसी तरह की चूक होने की दृष्टि में उस संपत्ति से ऋण की भरपाई संभव हो सकेगी.
ऋण की राशि तय करते समय संपत्ति की कीमत में मकान का रजिस्टे्रशन, स्टांप ड्यूटी आदि व्यय भी जोड़े जाते हैं. बैंक या वित्तीय संस्थान इस राशि का 75 से 85% तक ऋण दे सकते हैं. शेष 15 से 25% राशि की व्यवस्था ऋण लेने वाले व्यक्ति को निजी साधनों से करनी होती है. यदि पहले केवल प्लाट खरीदना हो तो ऋण की मात्रा का 30% तक भुगतान किया जाता है. शेष राशि निर्माण के विभिन्न स्तरों पर दी जाती है. होमलोन लेते समय आप को यह भी देखना है कि आप कितनी अवधि में ऋण चुका सकते हैं. उतनी अवधि तक आप को प्रतिमाह एक निश्चित राशि किस्त के रूप में अदा करनी होगी. यह अवधि 5 वर्ष से 20 वर्ष तक हो सकती है.