अपने बजट के मुताबिक मकान चुन लेने के बाद आप ऐसे लेंडर की तलाश करते हैं, जहां से आपको सस्ता लोन मिल सके. यह काम आसान नहीं होता है. लोन कंपैरिजन सर्विस इंजन Deal4loans.com के को-फाउंडर ऋषि मेहरा का कहना है, 'लोन चाहने वाले शख्स की एलिजिबिलिटी, इंटरेस्ट रेट, प्रोसेसिंग फीस और दूसरी कई बातों से तय होता है कि किस लेंडर से कर्ज लिया जाए.'
होम लोन ऑफर करने वालों के कंपैरिजन में यह तरीका आपकी मदद कर सकता है: कर्ज की रकम और पात्रता आपकी मंथली इनकम और प्रॉपर्टी की वैल्यू से तय होती है. आमतौर पर लोन की रकम प्रॉपर्टी वैल्यू के 80-85% होती है. कुछ मामलों में यह ज्यादा भी हो सकती है. मेहरा ने कहा, '30 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टी पर कस्टमर मैक्सिमम 90% फंडिंग ले सकते हैं, बशर्ते उनकी इनकम इस लायक हो.'
आरबीआई ने पिछले साल एक नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया था कि 30 लाख रुपये या इससे कम के होम लोन के लिए लोन टु वैल्यू रेशियो 90% तक हो सकता है. इससे पहले 90% एलटीवी के लिए 20 लाख रुपये तक लोन की लिमिट थी.
आपको लोन मिलेगा या नहीं, यह आपके व्यवसाय (सैलरीड या सेल्फ-एंप्लॉयड), खर्च करने लायक आमदनी और आप पर निर्भर लोगों की संख्या से तय होगा. इंटरेस्ट रेट लोन की ब्याज दर से ईएमआई और फिर आपकी ओर से चुकाए जाने वाले ब्याज पर असर पड़ता है. ऐसे में उस लेंडर को चुनिए, जिसकी ब्याज दर सबसे आकर्षक हो. यह भी देखिए कि रेट फिक्स्ड या है फ्लोटिंग. फिक्स्ड रेट के मामले में बाद में कोई बदलाव नहीं होता है.