हम भारतीय जरूरत या शौकीया तौर पर कार नहीं रखते, पर दूसरों की आंखों को लुभाने या सच कहें तो जलाने के लिए गाड़ियां रखते हैं. भारत में जितनी तेजी से नित नए कारों के मॉडल लॉन्च हो रहे हैं उतनी ही तेजी से सेकेंड हैंड कारों का बाजार भी बढ़ रहा है. कारों के शौक के कारण आजकल लोग 1-2 साल में ही नई कार बेच देते हैं. यही कारण है कि सेकेंड हैंड कारों का बाजार पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा बढ़ा है और लोग भी सेकेंड हैंड कारें खरीद रहे हैं. पर सेकेंड हैंड कार लेने से पहले सावधानी बहुत जरूरी है. कार के बारे में अच्छे से जांच-पड़ताल कर लेना बहुत जरूरी है.

बाहरी खूबसरती पर ही फिदा हो जाते हैं, चाहे वो इंसान की हो या कार की. पर ऐसा करनी बेवकूफी है. क्योंकि जो दिखता है, वो होता नहीं. लुक के अलावा भी कुछ बातें हैं जो सेकेंड हैंड कार खरीदते वक्त जहन में होनी चाहिए.

कार की इंश्योरेंस हिस्ट्री के बारे में जानकारी जुटाएं

आपने जो सेकेंड हैंड कार पसंद की है उसका इंश्योरेंस आपको बहुत सारी जानकारियां दे सकता है. सबसे पहले ये पता करें कि जो कार आप खरीदने जा रहे हैं उसका इंश्योरेंस है या नहीं. अगर है तो क्या नियमित रूप से उसका प्रीमियम भरा गया है या नहीं. इंश्योरेंस क्लेम की हिस्ट्री से आप ये पता कर सकते हैं कि कभी कार दुर्घटनाग्रस्त हुई है या नहीं. इश्योरेंस के कागजों को अपने नाम पर ट्रांसफर करवा लें.

रजिस्ट्रेशन के पेपर्स की जांच भी है जरूरी

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