जीवन बीमा पौलिसी असल में बीमा कंपनी और बीमाकृत जीवन के बीच एक अनुबंध होता है, जिस में बीमा धारक द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम के बदले बीमा कंपनी बीमाकृत व्यक्ति की मौत या तय समय के बाद एक निश्चित रकम, जिसे बैनिफिट्स कहते हैं, देने को राजी होती है. जीवन बीमा की आवश्यकता समझने के बाद भी लोगों के लिए सही प्लान का चयन करना हमेशा मुश्किल होता है. यह पर्सनल फाइनैंस के उन विषयों में से एक है, जिसे समझने में अधिकतर लोग गलती करते हैं. सामान्यतया, जीवन बीमा पौलिसी बीमा धारक की आवश्यकता एवं बचत क्षमता के आधार पर खरीदी जाती है. जीवन बीमा प्लान आप के प्रियजनों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान कर उन्हें सुरक्षित करने के लिए लिया जाता है, इसलिए इसे खरीदने से पहले आप को अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए. आप अगली बार जीवन बीमा खरीदते समय क्या करें और क्या न करें को ध्यान में जरूर रखें.

क्या करें

विशेषज्ञों व अलगअलग स्रोतों से सलाह लें और प्रत्येक सलाह पर धैर्यपूर्वक विचार करें. फिर इस के आधार पर जीवन बीमा के लिए अपनी आवश्यकताओं के बारे में सोचें. यदि आप संख्या में इस की मात्रा निर्धारित कर सकते हैं तो करें. जैसे आप यह देखें कि अगर आप के परिवार में 4 सदस्य हैं, तो आप के बिना घर चलाने के लिए उन्हें कितने पैसों की आवश्यकता होगी? यदि आप परिवार के मुख्य कमाने वाले सदस्य हैं, तो आप के बाद आप के बच्चों की स्कूल फीस, कालेज फीस और अन्य खर्र्चों को पूरा करने के लिए न्यूनतम कितने रुपयों की नियमित आवश्यकता होगी. इस में आप अपने सभी कर्ज, देयताएं, यहां तक कि क्रैडिट कार्ड की बकाया राशि भी शामिल करें. इस बात को समझने की कोशिश करें कि जीवन बीमा आप के परिवार को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का जरीया है. इसे महज एक टैक्स बचाने के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल न करें.

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अपने परिजनों विशेषकर जीवनसाथी/ नौमिनी को पौलिसी के बारे में जरूर बताएं. उसे यह भी समझाएं कि कोई अनहोनी होने पर क्लेम लेने के लिए उसे क्या करना होगा. ऐसे में अकसर हम सभी अनहोनी जैसे मुद्दों पर बातचीत करने से बचते हैं, जबकि आप अपने प्रियजनों को अपने जाने के बाद उन के लिए बनाए गए सुरक्षा कवच से अवगत करा कर अपने कौमन सैंस और समझदारी का परिचय दे रहे होते हैं. अपनी पौलिसी की नियमित आधार पर समीक्षा करें और परिस्थितियों व आवश्यकता में बदलाव होने पर उस में सुधार करें. उदाहरण के लिए यदि आप की शादी हो जाती है, आप के घर में नन्हा मेहमान आ जाता है, आप की देयता या कर्ज में बढ़ोतरी हो जाती है या आप का पेशा बदल जाता है आदि, तो अपनी पौलिसी की समीक्षा करने के दौरान आप अपने वित्तीय सलाहकार की सहायता भी ले सकते हैं.

क्या न करें

सिर्फ सस्ते के चक्कर में आवश्यकता से कम का कवर न लें. यदि आप को प्रीमियम का खर्च वहन करने में समस्या है तो कवर कम करने के बजाय कम अवधि का प्लान चुनें. प्रपोजल फौर्म में कोई भी कौलम खाली न छोड़ें तथा किसी दूसरे को अपना फौर्म भरने भी न दें. अपने प्रीमियम का भुगतान करना न भूलें, न ही इस में विलंब करें क्योंकि लैप्स अवधि के दौरान पौलिसी का कवर नहीं होता है और क्लेम नहीं मिलता है. पौलिसी लेते समय न कोई तथ्य छिपाएं, न ही कोई गलत जानकारी दें क्योंकि इस से क्लेम के समय विवाद की स्थिति बन सकती है.   

– अनिल चोपड़ा, ग्रुप सीईओ एवं निदेशक, बजाज कैपिटल

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