एक आकलन के मुताबिक देश में आधे बच्चे या तो स्कूल नहीं जा पाते या फिर कुछ ही सालों में पढ़ाई अधूरी छोड़ देते हैं. ऐसे में देश का भावी युवा कितना साक्षर होगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. देश में बढ़ती महंगाई के कारण अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा मुहैया कराना सब से मुश्किल काम है. अच्छी शिक्षा से मतलब उसे सिर्फ स्कूल भेजना मात्र नहीं है, बल्कि उस की प्राइमरी ऐजुकेशन से ले कर उच्च शिक्षा तक इस तरह से कराना है कि उस की पढ़ाई व कैरियर निर्माण के दौरान कभी आर्थिक अड़चन न आए और वह अपने मनमुताबिक कैरियर चुन सके.अमूमन हम बच्चों की शिक्षा के खर्च में स्कूल, कालेज और स्नातकोत्तर तक की शिक्षा पर होने वाले खर्च को ही शामिल करते हैं, जबकि आजकल बच्चे की स्कूली शिक्षा में स्कूल की फीस के साथसाथ ट्रांसपोर्टेशन, अन्य रचनात्मक गतिविधियां, दाखिला, ट्यूशन फीस, ड्रैस, स्कूल बैग, स्टेशनरी और उच्च शिक्षा हेतु विदेश जाने से ले कर और न जाने कितने खर्च शामिल होते हैं, जो जेब में पैसा न होने पर भविष्य में आप के बच्चों की शिक्षा और कैरियर में दीवार बन जाते हैं.
इन हालात में बच्चों की उच्च स्तरीय पढ़ाई का खर्च उठाना क्या इतना आसान है? बिलकुल नहीं. तो क्या आप बच्चों की शिक्षा के लिए पर्याप्त राशि जमा कर रहे हैं? अगर नहीं तो अभी से कमर कस लीजिए. बच्चों की बेहतर शिक्षा और भविष्य के लिए अभी से पैसा जमा करना शुरू कर दीजिए.
खर्च, बजट और प्लानिंग
भारत में शिक्षा 3 तरह की होती है- प्राथमिक, मध्य और उच्च शिक्षा. उच्च शिक्षा में अकादमिक और प्रोफैशनल यानी व्यावसायिक शिक्षा आती है. यही शिक्षा सब से ज्यादा खर्चीली होती है. लगभग सभी तरह की व्यावसायिक शिक्षा पर लाखों रुपए खर्च होते हैं. मसलन, डाक्टरी, इंजीनियरिंग, एमबीए आदि की पढ़ाई पर करीब क्व4 लाख से क्व10 लाख तक खर्च आता है. हम बच्चों की प्राथमिक शिक्षा का खर्च तो जैसेतैसे निकाल लेते हैं पर कालेज और व्यावसायिक शिक्षा पर खर्च होने वाले पैसों का इंतजाम करना मुश्किल हो जाता है. तब आपातकाल में किसी को लोन लेना पड़ता है, तो किसी को अपने गहने आदि बेचने पड़ते हैं. इसलिए अगर बच्चों के बचपन से ही उन की पढ़ाईलिखाई के लिए पैसे जमा करना शुरू कर दिए जाएं तो बाद में आर्थिक परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है.
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