नीरा का पति उस की गोद में 3 साल की बच्ची छोड़ कर 2 साल बाद लौटने की कह नई जौब के सिलसिले में आस्ट्रेलिया चला गया. मगर कुछ ही महीनों बाद उस ने वहां दूसरी शादी कर ली और फिर नीरा को पति से अलगाव स्वीकारना पड़ा.
नीरा ने जिंदगी की नई चुनौती को स्वीकार अपनी बेटी की परवरिश करते हुए इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स कर नौकरी कर ली. तलाक पर जो धनराशि मिली उसे बैंक में जमा करा दिया. इस तरह उस की जिंदगी आराम से गुजरने लगी.
जी हां, अगर 40 पार साथी का साथ छूट जाए तब भी आर्थिक सबलता जीने की ललक बरकरार रखती है. मगर आराम से बीत रही जिंदगी में कोई एक गलत कदम जीवन में उथलपुथल भी मचा सकता है.
कुछ ऐसा ही नीरा के साथ भी हुआ. अच्छीभली नौकरी करने और तलाक पर मिली धनराशि से उस का जीवन आराम से गुजर रहा था कि अपने भाई के कहने पर नीरा ने अपनी इंटीरियर की शौप खोल ली. मगर बाजार की स्थिति का सही अंदाजा न लगाने और बिना पूछताछ किए महंगी दर पर लोन लेने की वजह से उसे लोन की किस्तें भरने में परेशानी होने लगी, जिस की वजह से वह डिप्रैशन में रहने लगी. फिर घाटा झेल कर उसे दुकान बंद करनी पड़ी.
सोचसमझ कर निर्णय लें
अकेली महिला की जिम्मेदारी उस की खुद की होती है और अगर ऊपर से बच्चों के पालनपोषण की भी जिम्मेदारी हो तो उसे कोई भी निर्णय बहुत सोचसमझ कर लेना चाहिए. पेश हैं, इस संबंध में कुछ टिप्स:
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन