सीख देने वाला यह मामला मध्य प्रदेश के जिले छिंदवाड़ा का है, जिस में स्कूली बच्चों ने खेलखेल में करीब 1 करोड़ रुपए जमा कर सभी को हैरत में डाल दिया. बच्चों में बचत की आदत डालने की गरज से राज्य सरकार द्वारा 2007 में शुरू की गई ‘अरुणोदय गुल्लक’ योजना के तहत यह राशि बच्चों ने जमा की थी.
अगर इस तरीके को सभी जिंदगी में उतार लें तो जाहिर है वे मनमाफिक बचत कर पाएं, जिस के लिए जरूरत सिर्फ एक गुल्लक की है, जो अब घरों से गायब हो चला है. कभी गुल्लक भारतीय घरों की अहम जरूरत थी, लेकिन बचत के बढ़ते विकल्पों और आसान होती बैंकिंग प्रक्रिया ने यह जरूरत खत्म कर दी है.
गुल्लक की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि अगर यह सामने हो तो बचत खुदबखुद हो जाती है. रोज पैसा जमा करने की आदत सिखाने वाला गुल्लक चूंकि सहज उपलब्ध होता है, इसलिए इसे भरने के लिए हरकिसी का मन करने लगता है.
बूंदबूंद से घड़ा भरता है, यह बात गुल्लक पर खरी उतरती है, जिस में रोज 10-20 रुपए भी डाले जाएं तो जेब या बजट पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता और बैंक जाने की भागादौड़ी की भी जहमत नहीं उठानी पड़ती. बच्चों को शौक से पिगी बैंक दिलाने वाले अभिभावक अगर खुद के लिए भी गुल्लक ले लें तो वे सालभर में आकर्षक राशि जमा कर सकते हैं.
गुल्लक की खासीयतें
मिट्टी की बनी और 10-20 रुपए में मिलने वाले गुल्लक में आसानी से 40-50 हजार रुपए इकट्ठे किए जा सकते हैं, जिस की तैयारी इस तरह की जा सकती है:
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