पेमेंट डेटा के नियमों को ले के भारत के सख्त होते रुख पर विदेशी कंपनियों की परेशानी बढ़ रही है. भारत ने डेटा स्टोरज नियम को ले कर काफी सख्ती बरती है. आरबीआई के निर्देश के मुताबिक 16 अक्टूबर से विदेशी कंपनियों को पेमेंट से जुड़े डेटा भारत में ही स्टोर करने थे. इसके लिए विदेशी कंपनियों के पास 15 अक्टूबर रात 12 बजे तक का वक्त दिया गया था. पर विदेशी कंपनियों ने आरबीआई के निर्देश का उलंघन करते हुए कोई बात नहीं कि और ना ही इसके इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने का कोई भरोसा दिया.

आपको बता दें कि आरबीआई ने चेतावनी दी थी कि तय समय सीमा तक निर्देशों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई की जाएगी. आरबीआई ने इस मामले में अप्रैल में सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि जिन कंपनियों का सर्वर विदेश में है उन्हें पेमेंट सिस्टम से जुड़ा डेटा भारत में ही स्टोर करना पड़ेगा.

खबरों कि माने तो अमेरिकी कंपनियों ने 12 महीने का वक्त और मांगा है. कंपनियों का कहना है कि उनकी मशीनों का सिस्टम दुनियाभर में एक जैसा है। सिर्फ भारत के लिए इतनी जल्दी इतना बड़ा बदलाव करना आसान नहीं है.

अमेरिका की फाइनेंशियल कंपनियों की शिकायत के बाद वहां के अधिकारियों ने डेटा लोकलाइजेशन पर आपत्ति जताई है. जिसके बाद अमेरिका के डिप्टी रिप्रजंटेटिव डेनिस शिया ने शुक्रवार को कहा कि इन्फौर्मेशन का फ्री फ्लो सुनिश्चित करने के लिए हम डेटा का लोकलाइजेशन नहीं चाहते। ऐसा करने वाले देशों को फिर से सोचना चाहिए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये कंपनियां डेटा लोकलाइजेशन के खिलाफ दुनिया भर में लौबिंग करती हैं.

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