कई स्त्रियां ऐसी होती हैं, जो सहवास के दौरान उत्तेजित नहीं हो पाती हैं, जिस से वे सहवास के दौरान पति को सहयोग भी नहीं दे पाती हैं. ऐसी स्त्रियां ‘फ्रिजिड’ अर्थात ‘ठंडी’ स्त्री के रूप में जानी जाती हैं. फ्रिजिड स्त्री की व्यथा को न कोई जान सकता है और न ही समझ सकता है. वह स्वयं भी इस बात को जान नहीं पाती कि वह यौन सुख से वंचित क्यों है? जिस प्रकार छप्पन पकवानों से सजी थाली का भोजन नलिका द्वारा पेट में पहुंचाए जाने पर व्यक्ति को स्वाद का पता नहीं चलता, ठीक उसी प्रकार फ्रिजिड स्त्री संतान तो उत्पन्न कर सकती है, लेकिन यौनसुख का अनुभव नहीं कर सकती. पति उस की फ्रिजिडिटी (ठंडेपन) से तंग आ कर पत्नी को मानसिक रूप से प्रताडि़त करता है और उसे शारीरिक पीड़ा भी पहुंचाता है. वह समझता है कि उस की पत्नी उसे जानबूझ कर सहयोग नहीं देती है या कोई अनैतिक संबंध रख कर उस से बेवफाई कर रही है. इस से पतिपत्नी के बीच दीवार खड़ी हो जाती है और पत्नी को स्वयं को कोसने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाता है.
मेरे पास ऐसी कई स्त्रियां आई हैं, जिन में से कुछ की ‘केस हिस्ट्री’ आप को बताना चाहूंगा ताकि आप लोगों को फ्रिजिड स्त्रियों की व्यथा का पता चल सके. 23 वर्षीय मध्यवर्गीय वैशाली मासूमियत की प्रतीक थी. खुले दिल से हंसना, तत्परता से काम करना व कपटरहित व्यवहार उस का स्वभाव था. जब एक बड़े घराने में उस की शादी हुई तो वह खुशी से नाच उठी. उस ने सोचा कि अब उसे किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी, लेकिन कुछ दिनों में उस का यह भ्रम टूट गया. उस की हंसी, उछलकूद, सब से हिलनामिलना आदि पर पाबंदी लग गई, क्योंकि उस बड़े घराने में इसे अशिष्ट माना जाता था. हमेशा सास और ननद उस की हंसी उड़ाया करती थीं, जिस से वह धीरेधीरे स्वयं में खोने लगी. यहां तक की पति के साथ सहवास के समय पर अत्यंत आनंद के क्षणों में मुंह से निकले हुए उद्गार अथवा सिसकारी को दबाने लगी, क्योंकि उसे डर था कि पति उसे बदचलन या अशिष्ट स्त्री न समझ ले. धीरेधीरे वह भावशून्य होने लगी. बच्चे होने पर वह बच्चों में ही अधिक समय बिताने लगी और पति की मांग के कारण केवल एक फर्ज के रूप में यौन संबंध रखने लगी. वह यह भी भूल गई कि इस संबंध में सुख भी मिलता है.