फाइनैंशियल सिक्योरिटी यानी वित्तीय सुरक्षा हर इंसान की ज़रूरत है. इस के लिए घरेलू खर्चों के बाद कुछ पैसा भविष्य के लिए बचाया जाता है. समाज का वह वर्ग क्या करे जिस की स्थिति रोज़ कुआं खोदो रोज़ पानी पियो जैसी है. इस तबके की तो कोई सुनने वाला ही नहीं.

समाज बदला है, परिवर्तन आया है, शिक्षा पर जोर भी है. लेकिन फिर भी ज़्यादातर लोगों में जानकारी का अभाव है. हमारे गरीब देश भारत में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिए भी स्कीम्स हैं. बता दें कि पोस्ट औफिस में हर महीने 10 रुपए जमा करने के लिए रेकरिंग डिपौजिट (आरडी) यानी आवर्ती जमा खाता खुलवाया जा सकता है.

सुरक्षित भविष्य के लिए बचत कर उसे निवेश करना हर इंसान के लिए अनिवार्य है. समाज के निम्नवर्ग, निम्नमध्यवर्ग, मध्यवर्ग और छोटे वेतनभोगियों को भविष्य की फाइनैंशियल सिक्योरिटी के लिए निवेश यानी इन्वैस्ट करने के 2 अतिलोकप्रिय रास्ते हैं – एफडी (फिक्स्ड डिपौजिट) यानी सावधि जमा और आरडी (रेकरिंग डिपौजिट) यानी आवर्ती जमा.

जान लें कि एफडी में एकमुश्त रकम जमा करनी होती है जबकि आरडी में आमतौर पर एक निश्चित रकम हर महीने जमा करनी होती है. और यह भी जान लें कि फिक्स्ड और रेकरिंग डिपौजिट, दोनों ही स्कीम्स में इनकम टैक्स के नियम एकजैसे ही हैं. अब सवाल यह है कि एफडी और आरडी में बेहतर कौन है?

यह स्वाभाविक हकीकत है कि हर व्यक्ति अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न चाहता है. अगर निवेश के 2 विकल्पों में रिटर्न एकसमान हो तो आप अपनी पूंजी की ज्यादा सुरक्षा वाले विकल्प को पसंद करेंगे.

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