हाल ही में रुचि शाह से मिलना हुआ तो वे कहने लगीं, ‘‘क्या करें बेटी को समय ही नहीं मिलता.’’

‘‘कहां व्यस्त रहती है इतनी वह?’’ मैं ने पूछा.

‘‘क्या बताऊं आजकल औनलाइन पर्सनैलिटी डैवलपमैंट और सैल्फ ग्रूमिंग कोर्सेज जौइन किया है. उस के अलावा 1 घंटा सुबह जिम जाती है. पढ़ाई तो है ही सही,’’ इतना कुछ आखिर क्यों?

‘‘अब जिंदगी में कुछ करना है तो मेहनत तो अभी से ही करनी होगी न,’’ रुचि शाह का जवाब सुन मैं चुप रह गई, किंतु मन ही मन सोचने लगी कि ऐसा भी क्या करना है इन्हें. मेरी बेटी भी तो उसी के साथ पढ़ती है, उसे तो बहुत समय मिलता है. बहुत कुछ है इंटरनैट पर… घर आ कर मैं और मेरी बेटी जब रसोई में एकसाथ काम कर रहे थे तो बातों ही बातों में मैं ने कहा, ‘‘आज रुचि शाह मिली थीं. बता रही थीं कि उन की बिटिया मायरा पूरा दिन कुछ न कुछ सीखती रहती है. बहुत व्यस्त रहती है और तुम हो कि इंस्टा, यूट्यूब में समय गंवा रही हो.’’

‘‘ऐसा क्यों सोचती हैं आप मौम? मैं क्या सारा समय इंस्टा और यूट्यूब पर फालतू समय बिताती? हां, इंटरनैट पर भी बहुत सारे इंफौर्मेटिव वीडियो आते हैं उन्हें देखती. हां, इंस्टा पर अपने पहचान के लोगों से मिलती. आखिर मुझे भी तो अपनी जिंदगी जीनी है या टाइम मशीन बन कर रह जाऊं? उफ, मौम आप कंपेयर क्यों कर रही हैं?

‘‘यह कोई नई बात नहीं कि मायरा हर समय व्यस्त रहती हैं, पर उस की जिंदगी कोई जिंदगी है? न तो वह किसी से मिलती है और न ही किसी से कभी बात करने की फुरसत है उस के पास और सब से जरूरी बात यह कि क्या वह स्वयं खुश है ऐसी जिंदगी से?

जिंदगी में क्या करना है

‘‘खुश होगी तभी तो इतना कुछ कर लेती

है वह.’’

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‘‘नहीं मौम आप को कुछ भी नहीं पता. वह तो चक्की के 2 पाटों में पिस रही है. उस के डैड तो उसे सीए, एमबीए करवा कर अफसर बनाना चाहते हैं और उस की मौम उसे मौडल बनाना चाहती हैं. वह अपना पूरा समय उन की आकांक्षाओं को पूरा करने में बिताती है. जैसे उस की तो कोई लाइफ ही नहीं.’’

‘‘उस के पेरैंट्स भी तो उसी के भले के लिए सोचते हैं.’’

हां, सोचते होंगे, पर पहले वे दोनों आपस में मिलबैठ कर बातचीत कर तय कर लें कि उन्हें अपनी बेटी को क्या बनाना है. बेचारी 2 नावों की  सवार न तो हंसबोल पाती है और न ही कुछ तय कर पाती है कि आखिर उसे अपनी जिंदगी में क्या करना है. जरा वजन बढे़ तो उस की मौम उस के खानपान पर प्रतिबंध लगा देती हैं.

‘‘आखिर कब तक वह अपने मातापिता के अरमानों के बोझ तले दब कर ऐसी जिंदगी जी सकेगी? अभी तो समय कम पड़ रहा है वरना उस की मौम उसे कत्थक डांस क्लास और जौइन करवाएंगी. माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय की छवि देखती हैं उस की मौम उस में.’’

‘‘तो तुम्हारे हिसाब से उसे ये सब नहीं करना चाहिए? अपने मातापिता से विद्रोह करना चहिए?’’

‘‘हां, बिलकुल करना चाहिए. माना उस के मातापिता पढ़ेलिखे हैं, अच्छा कमाते हैं, दोनों वर्किंग हैं, किसी चीज की कोई कमी नहीं, लेकिन वे अपने सपनों का बोझ अपनी बेटी पर नहीं लाद सकते. मैं तो यही कहूंगी कि वे पढ़ेलिखे हैं, पर समझदार नहीं.’’

‘‘यह क्या कह रही हो तुम?’’ मैं ने कहा.

अपनी भी तो मरजी है

‘‘मैं ठीक कह रही हूं मौम. यदि वे समझदार होते तो अपनी बेटी की खूबियों को पहचानते. मालूम है वह फ्री पीरियड में लाइब्रेरी जाती है और वहां अफ्रीका के जंगलों और जानवरों के बारे में पढ़ती है, हम लोगों से फोन ले कर इंटरनैट पर वाइल्ड लाइफ मिस करती है. वे सब करते समय उस के चेहरे पर अलग ही मुसकराहट होती है. हम सभी सहेलियां उस की इस मामले में बहुत मदद करती हैं.

हम अपने फोन उसे दे देती हैं ताकि वह इंटरनैट का इस्तेमाल कर सके. उस के पेरैंट्स ने उस के फोन पर तो रैकर लगा रखा है ताकि वह उन की मरजी के खिलाफ कुछ देखपढ़ न ले. उफ, यह तो बहुत गलत है. आखिर वह भी तो फ्री पीरियड में अपनी मरजी का कुछ तो करना चाहती होगी.’’

‘‘तो तुम क्या कहती हो उसे अपने मातापिता से झगड़ा करना चाहिए?’’

नहीं मौम, उसे झगड़ा नहीं करना चाहिए, लेकिन उन के सपनों के बोझ तले अपने जीवन को भी नष्ट नहीं करना चाहिए बल्कि अपने पसंद के क्षेत्र की पूरी जानकारी ले कर अपने मातापिता से बातचीत करनी चाहिए. वह जंगलों और जानवरों से प्रेम करती है. माना यह फील्ड नई है जिस की जानकारी उस के मातापिता को नहीं. शायद हम जैसे लोग आमतौर पर इस फील्ड में नहीं जाते, पर हर फील्ड में कुछ न कुछ स्कोप तो होता ही है. फिर आजकल तो टूरिज्म इंडस्ट्री खूब फूलफल रही है.

नैशनल जियोग्राफिक चैनल, डिस्कवरी चैनल पर ये सब कितना आता है. वह किसी खास विषय या जानवर पर रिसर्च भी कर सकती है. किंतु आप लोगों को ये सब बताना फुजूल है. आप लोग तो लकीर के फकीर बने रहना चाहते हैं जैसे जो सब आप ने किया या सोचा उस के अलावा दुनिया में कुछ और अच्छा है ही नहीं. मुझे तो डर है कि मायरा कहीं स्ट्रैस और फ्रस्ट्रेशन में पढ़नालिखना ही न छोड़ दे.’’

‘‘नहीं वह अच्छी लड़की है. वह ऐसा नहीं करेगी कभी.’’

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निरंतर प्रयासरत

‘‘अच्छी लड़की माई फुट. मौम बस पेरैंट्स कहें वही करो तब ही अच्छी लड़की होती है? मैं क्या बुरी लड़की हूं. लेकिन मेरी अपनी ओपिनियन होती है, मैं रिस्पैक्ट करती हूं अपनी ओपिनियन और अपनी चौइस कीं. मैं अपने सपनों को साकार करने के लिए जब आंखें मूंदती तो हूं मन ही मन कहती हूं कि यस आई विल डू इट और उस के लिए निरंतर प्रयासरत हूं, लेकिन आप लोगों ने अपने सपने मुझ पर लादे नहीं. मैं जो पढ़ना चाहती हूं उस की छूट दी.

हकीकत तो यह है कि सबकुछ मैं ने ही तय किया. जो मुझे कालेज में पढ़ाया जाता है मैं उसे एक दिन पहले ही घर में पढ़ लेती हूं क्योंकि मुझे वह सब अच्छा लगता है. मुझे अपने विषय में ज्यादा सिर नहीं खपाना पड़ता. इसीलिए आप को मेरी मेहनत नजर भी नहीं आती और मैं समय निकाल कर मौजमस्ती भी कर लेती हूं.’’

‘‘हां, बात तो तुम्हारी सही है. तुम अपनी सहेली को क्यों नहीं समझाती कि वह अपने मातापिता से बात करे और उन्हें बताए कि वह अपनी पसंद का कैरियर चुनना चाहती है?’’

‘‘उन्हें समझा कर कोई फायदा नहीं मौम क्योंकि उस के मातापिता दोनों ही एकदूसरे को नहीं समझा पाए. बस दोनों अपनी जिद पर अड़े हैं कि एक के अनुसार बेटी मौडलिंग करे और दूसरे के अनुसार हर वक्त किताबों में सिर घुसाए रखे. पहले उन्हें आपस में समझना जरूरी है और यह जानना जरूरी है कि उन की बेटी क्या करना चाहती है पर वे दोनों इतने नासमझ हैं कि इस विषय पर बेटी से बातचीत ही नहीं करते.

‘‘बस उस के लिए एक पगडंडी बना दी है और जैसे घोड़े की आंखों पर कनपटा बांध दिया जाता है कि वह साइड में न देखे बस आगे देखे वैसे ही उसे अपने मातापिता की आंखें ले कर उस पगडंडी पर चलना है.’’

‘‘हां, बात तो तुम सही कहती हो,’’ मैं ने कहा.

सपनों को जिओ

‘‘आप को लगता है कि मैं सही कह रही हूं तो आप ही समझाओ उस की मौम व डैड को वरना किसी दिन वह कुछ गलत न कर बैठे. उस ने विद्रोह कर दिया तो फिर वह उन दोनों से बहुत दूर चली जाएगी. हो सकता है वह मौडल या अफसर बन जाए, किंतु उस के मातापिता की आंखें कब तक उसे राह दिखाएंगी. वह तो वाइल्ड लाइफ सफारी को मिस करती है और सोचती है एक बार मांबाप का सपना पूरा कर दे, फिर अपना सपना पूरा करेगी.

एक बार मौडलिंग में चली भी जाएगी तो छोड़ देगी या फिर किसी बड़ी कंपनी में अफसर बन गई तो नौकरी छोड़ देगी और यदि यह भी न हुआ तो पूरी जिंदगी कसमसाती रहेगी अपने अधूरे ख्वाबों के साथ. अपने सपनों को जिओ. आखिर जिंदगी उस की है और उसे ही जीनी है. उसे अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए न कि अपने मातापिता के अरमानों को जीना चाहिए.’’

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