किसी महिला के पहली बार गर्भधारण करते ही आसपास से सबके सुझाव आने शुरू हो जाते है, कभी माँ, कभी सास, दादी, नानी, चाची आदि, परिवार की सारी महिलाओं के पास सुझाव के साथ नुस्खे भी तैयार रहते है, जिसे वह बिना पूछे ही उन्हें देती रहती है और गर्भधात्री इन सभी सुझावों को शांति से सुनती है,क्योंकि एक नए शिशु के आगमन की ख़ुशी नए पेरेंट्स के लिए अनोखा और अद्भुत होता है. ये सुख मानसिक और शारीरिक दोनों रूपों में होती है.
इस बारें में सुपर बॉटम की एक्सपर्टपल्लवी उतागी कहती है कि बच्चे के परिवार में आते ही बच्चे के पेरेंट्स बहुत अधिक खुश हो जाते है और उनका हर मोमेंट उनकी जिज्ञासा को बढ़ाता है. जबकि बच्चे की असहजता की भाषा उस दौरान एक पहेली से कम नहीं होती, जिसे पेरेंट्स नजदीक से समझने की कोशिश करते रहते है, जबकि परिवार, दोस्त और ऑनलाइन कुछ अलग ही सलाह देते है, ऐसे में न्यू मौम को कई प्रकार की मिथ से गुजरना पड़ता है, जिसकी जानकारी होना आवश्यक है, जो निम्न है,
अपने बच्चे की ब्रेस्ट फीडिंग का समय निर्धारित करें
न्यू बोर्न बेबी को जन्म के कुछ दिनों तक हर दो घंटे बाद स्तनपान करवाने की जरुरत होती है, इसकी वजह बच्चे के वजन को बढ़ाना होता है, इसके बाद जब बच्चे को भूख लगे, उसे ब्रैस्ट फीडिंग कराएं, कई बार जब बच्चे की ग्रोथ होने लगती है, तो उसे अधिक बार स्तनपान कराना पड़ता है, जिसके बाद बच्चा काफी समय तक अच्छी नींद लेता है. बच्चे में स्तनपान की इच्छा लगातार बदलती रहती है. बच्चा हेल्दी होने पर उसकी ब्रैस्ट फीडिंग अपने आप ही कम हो जाती है. जरुरत के अनुसार ही ब्रैस्ट फीडिंग अच्छा होता है.