मौसम की फिज़ा में अब ठंडक घुलने लगी है कुछ समय पूर्व तक इस मौसम में महिलाओं के हाथ में ऊन और सलाइयां ही दिखतीं थीं. आजकल भले ही हाथ से बने स्वेटरों की अपेक्षा रेडीमेड स्वेटर का चलन अधिक है परन्तु स्वेटर बुनने की शौकीन महिलाओं के हाथ आज भी खुद को बुनाई करने से रोक नहीं पाते. रेडीमेड की अपेक्षा हाथ से बने स्वेटर अधिक गर्म और सुंदर होते हैं साथ ही इनमें जो अपनत्व और प्यार का भाव होता है वह रेडीमेड स्वेटर में कदापि नहीं मिलता परन्तु कई बार स्वेटर बनाने के बाद ढीला पड़ जाता है अथवा फिट नहीं हो पाता या फिर धुलने के बाद रोएं छोड़ देता है. इन्हीं छोटी छोटी समस्याओं से मुक्ति के लिए आज हम आपको स्वेटर बनाने के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं-
1. ऊन
लोकल या सस्ती ऊन की अपेक्षा स्वेटर बनाने के लिए सदैव वर्धमान या ओसवाल कम्पनी की 3 प्लाई की उत्तम क्वालिटी की ऊन ही खरीदें. यदि आप छोटे बच्चों के लिए स्वेटर बना रही हैं तो सामान्य की अपेक्षा छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से बनाई जाने वाली बिना रोएं की बेबी वूल का ही प्रयोग करें.
2. सलाई
ऊन के साथ साथ सलाई भी अच्छी क्वालिटी की होना अत्यंत आवश्यक है. सस्ती सलाई अक्सर ऊन पर अपना रंग छोड़ देती है जिससे कई बार स्वेटर का वास्तविक रंग ही खराब हो जाता है. मोटी ऊन के लिए 5-6 नम्बर की मोटी और पतली ऊन के लिए 10-12 नम्बर की पतली सलाई लेना उपयुक्त रहता है
3. फंदे