जैट की रफ्तार से भागती जिंदगी में अगर 2 घड़ी सुकून कहीं नसीब होता है तो वह है हमारा बैडरूम. सुरसा की मुंह की तरह बढ़ती महंगाई और महंगी होती जीवनशैली ने जहां पतिपत्नी को घर से बाहर नौकरी करने के लिए मजबूर कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ टारगेटबेस्ड जौब्स ने दबाव और तनाव बढ़ा दिया है. दिन भर इन्हें तकलीफों, टेंशनों से जूझता आदमी थकहार कर जब घर लौटता है तो उस के चेहरे पर जमाने भर का सुकून नजर आता है.

क्या यह सच है

क्या डबलबैड पर आप के रिश्ते नौर्मल हैं? आप टेंशनफ्री नहीं हैं? यह एक नई तरह की टेंशन दिन प्रतिदिन और बड़ी होती हुई अपना मुंह फाड़ती जा रही है. एक कालसेंटर में काम करने वाली नंदिनी खन्ना से जब यह सवाल पूछा गया तो पल भर को तो उन के चेहरे का रंग ही उड़ गया. काफी सोचविचार के बाद अंतत: लंबी सास छोड़ते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सच पूछिए तो घर लौटना मुझे अच्छा लगता है. मेरे पति नवीन भी 7 बजे तक लौट आते हैं. उस के बाद शाम की चाय, टीवी और फिर खाना, सब कुछ रूटीन के मुताबिक चलता है, पर क्यूट सा. मतलब हम दोनों में हफ्तों कम्युनिकेशन नहीं होता. सिर्फ हां, न तक ही वार्त्तालाप होता है, किसी विषय विशेष पर चर्चा तो दूर की बात है.’’

वजह पूछने पर उन्होंने बताया, ‘‘टीम लीडर के पद पर कार्यरत होने की वजह से मेरी सैलरी इन से ज्यादा है. इसलिए यह बात यह बरदाशत नहीं कर पा रहे हैं, जिस से हमारे बीच की दूरियां बढ़ती जा रही हैं. हम दोनों ही कालसेंटर में काम करते हैं. एकदूसरे का जौबप्रोफाइल देख कर ही हम में दोस्ती हुई, फिर प्रेम हुआ और फिर शादी. सब कुछ राजीखुशी और रजामंदी से ही हुआ. 2 साल हमारी शादीशुदा जिंदगी पूरी तरह फिल्मी और ग्लैमरस रही. हम ने सेक्स की तमाम फेंटेसियां भोगीं. बच्चा हम दोनों ही नहीं चाहते थे और आज जो हालात हैं, बच्चा होने की नौबत ही नजर नहीं आती.’’

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...