इंसान की जिंदगी में फूलों का एक अलग ही महत्त्व है. सौंदर्य व सजावट के अलावा संस्कारों, समारोहों और महत्त्वपूर्ण कार्यकलापों में फूलपौधों का इस्तेमाल किया जाता है. हर फूल एक निर्धारित समय के लिए अनुकूल मौसम और परिस्थितियों में ही खिलता और पनपता है. यदि इन फूल व पुष्पीय उत्पादों की कुदरती अवस्था में सुखाने की तकनीक विकसित की जाए तो इन्हें कुछ दिनों के बजाय महीनों और वर्षों तक घरों, दफ्तरों में सजाया जा सकता है.
फूल सुखाने के तरीके
कृत्रिम ऊर्जा के सहारे पौधों के खूबसूरत हिस्सों को नियंत्रित तापमान, नमी व हवा के बहाव में सुखाने की प्रक्रिया को डिहाइड्रेशन कहते हैं. इस प्रक्रिया द्वारा पौधों के खूबसूरत हिस्सों से नमी इस तरह निकाली जाती है कि उन की कुदरती अवस्था ज्यों की त्यों बनी रहती है. इस के उलट जब उन्हें प्रकृति में अपनेआप सूखने दिया जाता है तब औक्सीडेटिव प्रक्रिया से ये भूरे व काले पड़ जाते हैं.
हालांकि कुछ ऐसे पौधे, जिन में नमी कम हो, जल्दी ही सामान्य तापमान व हवा में कम नमी के होते सूख जाते हैं. इन में खासकर स्ट्रा फूल, पेपर फूल, स्टैटिस, धूप, फ्लेमिंजिया आदि शामिल हैं. कई पौधों के सुंदर फल, बीज व टहनियां अपनेआप सूख जाते हैं. ऐसे पौधों में अमलतास, रत्ती, क्लिमैटस, चीड़, रीठा आदि खास हैं.
खुले में लटका कर सुखाना : यह फूल व पुष्पीय पदार्थों के सुखाने की सब से आसान व साधारण प्रक्रिया है. इस में फूल व पुष्पीय पदार्थों को रस्सी या तार से बांध कर उलटा लटका देते हैं. जब तक वे पूरी तरह सूख नहीं जाते, उसी अवस्था में रहने दिया जाता है. वहां पर नमी की मात्रा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और हवा का आवागमन पर्याप्त होना चाहिए. स्ट्रा फूल, पेपर फूल, स्टैटिस, धूप, फ्लेमिंजिया रूमैक्स कप व सौसर और बोगनबेलिया वगैरह इस प्रक्रिया से सूखने वाले खास फूल हैं. इस प्रक्रिया में दूसरे फूलों को सुखाने से वे सिकुड़ जाते हैं.
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