‘खिलते हैं गुल यहां…’, ‘मैं ने कहा फूलों से हंसा तो वो खिलखिला कर हंस दिए…’, ‘फूल आहिस्ता फेंको, फूल बड़े नाजुक होते हैं…’, ‘ऐ फूलोंकी रानी बहारों की मलिका…’, ‘फूल तुम्हें भेजा है खत में…’ जैसे गीत गुनगुनाना उन्हें इसलिए पसंद है क्योंकि इन गीतों में फूलों का जिक्र है. तरहतरह के फूलों के रसिया एम्ब्रोस पैट्रिक हमेशा फूलपौधों के बीच घिरे रहना पसंद करते हैं व फूलों और पौधों के बगैर उन की कोई बात पूरी ही नहीं होती. बचपन से फूलों और पौधों को गमले में लगाने के शौकीन रहे एम्ब्रोस ने अपने घर की छत पर काफी बड़ा और हर तरह के फूलों के पौधों से सजा गार्डन बना रखा है. काम के बोझ के बीच भी वे हर दिन 2 से 3 घंटे गार्डन की देखरेख में गुजारते हैं. छुट्टियों के दिन में तो 5-7 घंटे वे अपने फूलपौधों के साथ ही गुजारते हैं.

पटना के पुराने और व्यस्त इलाके पटनासिटी में घुसते ही हर ओर प्रदूषण, गाडि़यों की चिल्लपौं, जाम और गंदगी से भरी तंग सड़कों से गुजरते हुए जब हाजीगंज कैमाशिकोह, जिसे कौआखोह के नाम से भी जाना जाता है, पहुंचते हैं तो दिलोदिमाग में अजीब सी कड़वाहट और बौखलाहट पैदा होती है. उस महल्ले की एक छोटी सी गली से गुजर कर एम्ब्रोस पैट्रिक की विशाल व शानदार हवेली की छत पर पहुंचते हैं तो बड़े ही करीने से सजाए गए गार्डनिंग के करिश्मे को देख दिल को सुकून मिलता है.

बिहार अल्पसंख्यक ईसाई कल्याण संघ के सचिव और जीसस ऐंड मेरी एकेडमी के डायरैक्टर एम्ब्रोस पैट्रिक बताते हैं कि शहर में इतनी जमीन नहीं मिल पाती है कि बागबानी के शौक को बेहतर तरीके से जमीन पर उतारा जाए. घर की छत पर गमलों में कुछ फूलों और सजावटी पौधों को लगा रखा था, पर मन को सुकून नहीं मिल पा रहा था और बड़े पैमाने पर गार्डनिंग करने की इच्छा बढ़ती जा रही थी. एक दिन औफिस में बैठेबैठे अचानक खयाल आया कि क्यों न घर की छत को ही गार्डन के रूप में विकसित किया जाए. उस के बाद ही 4 हजार वर्गफुट की छत को गार्डन का रूप देने के मिशन में जुट गया. एम्ब्रोस की बगिया में करीब 1,200 बड़े और छोटे गमले हैं और सारे के सारे लोहे के स्टैंडों पर सजा कर रखे गए हैं. हरेक गमले में पौधा लगा है. कोई भी गमला खाली या बेकार नहीं पड़ा है. एम्ब्रोस कहते हैं कि इतने सारे गमले होने के बाद भी उन्हें लगता है कि काफी कम गमले हैं, अब ज्यादा जगह नहीं है कि और ज्यादा गमले छत पर रखे जा सकें. उन के गार्डन की सब से बड़ी खासीयत उस में कई किस्मों के गुलाब के पौधे हैं.

मल्टीकलर गुलाब से ले कर हरा, पीला, काला, सफेद, लाल, पिंक कलर के गुलाब के झूमते फूल बरबस ही आने वालों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं. लता वाला गुलाब उन के गार्डन का अनोखा कलैक्शन है. एम्ब्रोस के गार्डन में गेंदा, डहेलिया, कांजी, जूही, बोगनबेलिया, अड़हुल, चंपा, बेला, चमेली, रजनीगंधा समेत फिनिक्स पाम ट्री के पौधे झूमतेगुनगुनाते दिखते हैं. फिनिक्स पाम ट्री की खासीयत है कि वह सालभर हराभरा रहता है. मुसांडा के पौधे की अलग ही खूबसूरती है. इस पौधे के पत्ते सफेद और पिंक रंग के होते हैं.

गार्डनिंग का शौक रखने वालों को एम्ब्रोस यह सलाह देते हैं कि वे पूरी तैयारी के साथ ही गार्डनिंग की शुरुआत करें. पौधों और फूलों की किस्मों, किस पौधे में कब और कितना पानी व खाद डाली जाए, किस पौधे को कितनी धूप और छांव की दरकार है, इस की जानकारी होनी चाहिए. एम्ब्रोस पैट्रिक के जीवन का फलसफा है कि खुद की बगिया को महकाओ और दूसरे को भी इस के लिए प्रेरित करो.

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