लेखिका-सरिता वर्मा 

निटिंग का मौसम फिर से लौट आया है और इस बार अपने साथ बुनाई के नए ट्रैंड भी साथ लाया है. लेकिन बुनाई शुरू करने से पहले यदि कुछ बुनियादी बातों की जानकारी न हो तो कहीं बुनाई में सफाई नहीं आती तो कहीं किनारा सिकुड़ जाता है. ऐसा न हो, इस से बचने के लिए अगर आप बुनाई की बुनियादी तकनीकी बातें जान लेंगी तो जो भी बुनेंगी, जिस डिजाइन में बुनेंगी उस में जान आ जाएगी.

ऊन की किस्में

जानवरों के बालों से बनने वाला ऊन: प्योर वूल, अंगोरा, मोहार, सिल्क अलपाका.

सब्जियों से बनने वाला ऊन:  कौटन लाइनन.

मैन मेड वूल: नायलौन व एक्रीलिक ऊन कई फाइबर्स से बनता है.

ऊन में एक सिंगल धागे को प्लाई कहते हैं और कई प्लाई को आपस में ट्विस्ट कर के धागा बनता है. धागा जितना मोटा बनाना होता है, उतनी ही प्लाई का प्रयोग होता है.

ऊन खरीदते समय

– हमेशा अच्छी कंपनी का ऊन खरीदें.

– ऊन हमेशा दिन में खरीदें और शेडकार्ड देख कर रंग का चयन करें. रंगों की विशाल रेंज बाजार में मौजूद हैं.

– बच्चों के लिए नरममुलायम बेबी वूल खरीदें, ताकि त्वचा को नुकसान न हो.

– ऊन ज्यादा ही खरीदें ताकि स्वैटर बुनते वक्त वह कम न पड़े. ऊन कम पड़ने पर व दोबारा खरीदने पर रंग में फर्क आ सकता है.

– स्वैटर बनाने के लिए हमेशा अच्छी कंपनी की सलाई लें. मोटे ऊन के लिए मोटी सलाई व पतले ऊन के लिए पतली सलाई का प्रयोग करें.

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बौर्डर व डिजाइन

– 2 प्लाई महीन ऊन, 12 नंबर की सलाई,

11 नंबर की सलाई.

– 3 प्लाई बीच की, 11 नंबर की सलाई, 10 नंबर की सलाई.

– 4 प्लाई सामान्य, 10 नंबर की सलाई, 9 या 8 नंबर की सलाई.

– 6 प्लाई मोटी या डबल निट, 6 या 7 नंबर की सलाई.

बुनाई करने से पहले: बुनाई करने से पहले निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

– जिस के लिए स्वैटर बुनना है, उस की उम्र, पसंद व रंग का खयाल रख कर ही ऊन खरीदें.

– यदि स्वैटर बनाते समय सही सलाई का प्रयोग नहीं करेंगी तो स्वैटर अच्छा नहीं बनेगा.

– जब भी 2 रंगों के ऊन का प्रयोग करें, उन की मोटाई और किस्म एक समान होनी चाहिए.

– जब आप एकसाथ कई रंगों के ऊन का प्रयोग करें, तो बुनाई ढीले हाथों से करें.

– जब भी आप हलके रंग, जैसे सफेद, क्रीम या किसी भी ऊन का प्रयोग करें, हाथों में टैलकम पाउडर अवश्य लगा लें.

– स्वैटर हमेशा एक ही व्यक्ति द्वारा बुना जाना चाहिए क्योंकि हर किसी की बुनाई में फर्क होता है.

– जब भी बुनाई करें कभी भी आधी सलाई पर फंदे न छोड़ें, नहीं तो बुनाई में छेद आ जाते हैं. हमेशा सलाई पूरी कर के छोड़ें.

– अगर कोई फंदा गिर गया हो तो क्रौस हुक का प्रयोग करें.

– फंदा हमेशा डबल ऊन से ही डालें.

– हर सलाई शुरू करने से पहले पहला फंदा बिना बुनें उतारें. इस प्रकार स्वैटर के दोनों तरफ एक जाली सी बन जाएगी, जिस से स्वैटर सिलने में आसानी रहेगी.

– स्वैटर बनाते समय गांठ हमेशा किनारे पर लगाएं. इस से स्वैटर पीछे की तरफ साफ रहेगा.

– स्वैटर को एक फंदा सीधा, एक फंदा उलटा बुनते हुए बंद करें.

– स्वैटर की सिलाई हमेशा इकहरे ऊन से करें.

– अपने हाथ के खिंचाव को जांच लें. उसी हिसाब से सलाई का प्रयोग करें.

– सही नाप का स्वैटर बनाने के लिए सही फंदों का पता होना आवश्यक है. जो भी डिजाइन डालना चाहती हैं, उस का 4×4 इंच का चौकोर टुकड़ा बुनें. अगर नमूना साफ नजर आ रहा हो, तो 4 इंच लंबाई में बुनी हुई सलाइयों के अनुसार पूरा स्वैटर बन जाएगा.

सही डिजाइन का चुनाव: डिजाइन का चुनाव व्यक्ति की उम्र को देखते हुए करें. बच्चों के लिए और बड़ों के लिए डिजाइन अलगअलग होती हैं. साथ ही, समय के साथ डिजाइन का चुनाव करें. बहुत पुरानी डिजाइन का स्वैटर न बना कर नए डिजाइनों की तलाश करें. थोड़ी सी सूझबूझ और परिश्रम से आप नए और लेटैस्ट स्वैटर बना सकती हैं.

ऐसे भी कला का कोई अंत नहीं है. आप केबल, कढ़ाई ग्राफ का डिजाइन, बीड्स, सीक्वैंस, मोटिफ लगा कर डिजाइन को नए तरीके से सजा सकती हैं. बस एक बात का ध्यान रखें. बच्चों के स्वैटर हमेशा बेल, जानवर वाले डिजाइन, केबल या ग्राफ से बना कर उन्हें आकर्षक रूप प्रदान करें और बड़ों के स्वैटर में बहुत ज्यादा जाल वाले डिजाइन डालने से बचें. जब केबल डालें तो 10-12 फंदे ज्यादा लें, नहीं तो स्वैटर टाइट बनेगा.

स्वैटर पर कढ़ाई के लिए क्रौस स्टिच, लेजीडेजी, डंडी स्टिच (स्टैम स्टिच) भरवां आदि से कढ़ाई करें. कढ़ाई हमेशा हलके हाथों से करें. कढ़ाई करते समय स्वैटर के नीचे की तरफ कागज या पेपर फोम का इस्तेमाल करें.

इसी तरह स्वैटर पर बीड्स या नग, सीक्वैंस लगाते समय हमेशा बारीक सूई का इस्तेमाल करें. जब भी बीड्स या नग लगाएं, स्वैटर के रंग का धागा इस्तेमाल करें. अगर दूसरे रंग का धागा लगाएंगी तो धागा चमकेगा और स्वैटर की खूबसूरती खराब हो जाएगी.

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गला बनाने के लिए: स्वैटर बना कर गला बनाने के लिए एक तरफ का कंधा सिल कर दूसरी तरफ के फंदा धागे में डाल लें. सलाई पर गला बना कर पहले गले की पट्टी को सिल कर इन फंदा को आपस में जोड़ लें.

‘वी’ गले को 2 सलाइयों पर बनाने के लिए व ‘वी’ शेप देने के लिए जैसे सीधा तरफ से

3 फंदा का 1 करते हैं, वैसे ही उलटी तरफ से भी 3 फंदा का 1 करें. इस से गले में सफाई रहेगी.

– छोटे बच्चों के लिए गोल गले के व सामने से खुले स्वैटर बनाएं, जिस से बच्चों को उन्हें पहनने में आसानी हो.

– टीनएजर्स के लिए बोट नैक, वी नैक, कैमल नैक अच्छे लगते हैं.

– बड़ी उम्र वालों के लिए गोल या वी नैक बनाएं.

– सूट के नीचे पहने जाने वाले स्वैटर ‘वी’ नैक के बनाएं.

– महिलाओं के लिए गोल गले वाले या सामने से खुले स्वैटर सुविधाजनक होते हैं. जिन की गरदन लंबी हो, उन पर पोलोनैक (हाईनैक) अच्छी लगती है.

स्वैटर की सिलाई: सिलाई करते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

– जब भी सिलाई करें स्वैटर के दोनों पल्लों को पकड़ कर बखिया सिलाई से सिल लें.

– स्वैटर के दोनों पल्लों को आमनेसामने रख कर सूई से दोनों तरफ का 1-1 फंदा उठाते हुए जोड़ती चली जाएं.

– जब भी स्वैटर बनाएं उस का ऊन संभाल कर रख लें ताकि स्वैटर की सिलाई खुलने पर फिर से सिलने के काम आ सके.

इन बातों को जान कर स्वैटर की बुनाई की बुनियादी बातों से परिचित हो गई होंगी. अब आप जो भी स्वैटर बनाएंगी तारीफ जरूर पाएंगी, तो फिर देर किस बात की, झटपट शुरू हो जाइए.

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