आधुनिक युग में जहां एक ओर घर की आंतरिक बनावट व साजसज्जा का ध्यान रखा जाता है वहीं दूसरी ओर घर के चारों ओर खाली पड़ी जमीन या आंगन को आकर्षक बनाया जाता है. घर के बाहर का बगीचा आजकल आउटडोर लिविंगरूम कहलाता है. इस लिविंगरूम का फर्श यदि एक जीवंत हराभरा गलीचा हो तो घर की शोभा ही अनोखी बन जाती है. जी हां, हम जिस हरेभरे गलीचे की बात कर रहे हैं वह और कुछ नहीं बल्कि लौन है.

लौन एक हरे कैनवस की भांति होता है जिस के ऊपर आप रुचि के अनुसार रंग बिखेर सकते हैं. आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने भी यह स्वीकारा है कि हमारे आसपास पेड़पौधों व हरियाली का मानव मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. सुबहशाम लौन पर नंगे पांव चलने से प्राकृतिक रूप से ऐक्यूप्रैशर होता है और आंखों को भी शीतलता प्राप्त होती है. अन्य पौधों के मुकाबले लौन की विशेषता यह है कि यह वर्षभर हराभरा रहने के साथ बगीचे का स्थायी अंग बन जाता है, जिसे बारबार लगाने की आवश्यकता नहीं होती. आइए, लौन लगाने व उस की देखभाल करने की जानकारी लें.

घास का चुनाव : घास का चुनाव करते समय वातावरण, तापमान, आर्द्रता इत्यादि की जानकारी अवश्य लें. गरम स्थानों पर उगाई जाने वाली घास जहां गरम, आर्द्र मौसम को सहन कर सकती है वहीं ठंडे स्थानों पर लगाई जाने वाली घास अत्यंत कम तापमान (कभीकभी 0 डिग्री सैंटीग्रेड से नीचे) व पाले की मार को सहन करने की क्षमता रखती है. अगर भूमि काफी है तो दूब घास यानी साइनोडोन डैक्टाइलोन की उन्नत किस्मों का प्रयोग करें. छोटे लौन में गद्देदार घास, कोरियन घास यानी जौयशिया जैपोनिका का प्रयोग कर सकते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...