सभी की चाहत रहती है जीवन में कभी इक बंगला बने न्यारा उस बंगले के बाहर लंबेलंबे बोटलपाम के पेड़ हों, उन के पत्तों से छनती धूप, द्वार के एक ओर गुलमोहर के लाल फूलों से लदा पेड़ हो, टूजी और चांदनी के फूलों से ठंडक बिखेरती मनमोहक छटा. घर तक आती सड़क के किनारे गुलाबी रंगों वाले बोगनवेलिया की बाड़. बंगले की चारदीवारी पर रखे गमलों में ऐस्पेरेगस, चाईना ग्रास, अंब्रेला पाम, फिंगर पाम, चाइना पाम, पत्थरचट्टा (ब्रायोफाइलम सिंगोनियम), सदाबहार, आईवी, शोभाकारी डेफनबेचिया, कैलेडियम, पेपरोमिया के पौधे लगे हों.

क्या हरियाली है, सोचसोच कर ही रोमांच हो रहा है कि इतने सजावटी पौधों से हरीभरी होगी चारदीवारी. भीतर से आती भीनीभीनी रजनीगंधा की खुशबू मानो गेट खोल कर भीतर आने का मूक निमंत्रण दे रही हो.

यह क्या यहां तो सुगंध बिखेरते गुलाब, पीले गैंदे के फूलों की महक मदहोश कर रही है. यकीन मानिए जब पैर इस नर्म दूब वाले लौन में रखेंगे तो बेसाख्ता कह उठेंगे कि मजा आ गया. उद्यान हो तो ऐसा.

अब हर किसी को बंगला तो मिलना संभव नहीं होता है क्योंकि शहरों में जमीन की कमी की वजह से घर में बाग संभव नहीं है पर अगर फ्लैट में रह रहे हैं तो अपनी बालकनी, घर के अंदर या सोसायटी के साथ काम कर के बंगले जैसा खुशनुमा माहौल बनाया जा सकता है. जिन के पास जगह है, छोटाबड़ा प्लाट है तो वे इन सब पेड़पौधों का आनंद ले सकते हैं.

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