किराया आज के समय में आय का एक अच्छा और बेहतर साधन है. आज जहां कोई भी मकान जैसी प्रौपर्टी का मालिक अपनी खाली पड़ी प्रौपर्टी को किराए पर दे कर अपनी आय बढ़ा सकता है, वहीं दूसरी तरफ किराए के मकान उन लोगों के लिए वरदान समान हैं, जो पैसे न होने के कारण अपना आशियाना नहीं बना पाते. लेकिन किराए पर ऐसी प्रौपर्टी को लेते या देते समय जो सब से महत्त्वपूर्ण चीज होती है, वह है रैंट एग्रीमैंट.
रैंट एग्रीमैंट वह होता है, जो किसी भी प्रौपर्टी को किराए पर देने से पहले किराएदार और मकानमालिक के समझौते से तैयार किया जाता है. इस रैंट एग्रीमैंट में मकानमालिक की सारी शर्तें लिखित रूप में होती हैं, जिस पर मकानमालिक व किराएदार की सहमति के बाद ही दस्तखत होते हैं. रैंट एग्रीमैंट भविष्य के लिए लाभदायक सिद्ध होता है. अगर किसी भी प्रकार के बदलाव का प्रस्ताव मकानमालिक या किराएदार द्वारा रखा जाना हो, तो उस के लिए 30 दिन पहले नोटिस दिया जाता है.
रैंट ऐग्रीमैंट में बहुत सी ऐसी बातों को ध्यान में रखना जरूरी होता है, जो मकानमालिक और किराएदार दोनों के लिए आवश्यक होती हैं. वे बातें इस प्रकार हैं :
- रैंट एग्रीमैंट हमेशा स्टैंप पेपर पर ही बनाया जाता है. इस पर मकानमालिक और किराएदार दोनों के दस्तखत होने जरूरी होते हैं.
- रैंट एग्रीमैंट में किराएदार व मकानमालिक का नाम साफसाफ लिखा होना चाहिए. साथ ही किराए पर दी जाने वाली जगह का पूरा पता भी दिया होना चाहिए.
- रैंट एग्रीमैंट में किराए की ठीक जानकारी आवश्यक होती है, साथ ही किराया देने की समय अवधि की तारीख भी होनी चाहिए और किस दिन से विलंब शुल्क लगाया जाएगा, यह भी साफसाफ लिखा होना चाहिए.