सिल्क एक ऐसा सदाबहार फैब्रिक है, जो न सिर्फ महिलाओं की पहली पसंद है बल्कि पुरुषों में भी इस का आकर्षण कम नहीं है. सिल्क जैसी गरिमा, लावण्य और खूबसूरती किसी और कपड़े में नहीं है. प्राकृतिक एवं पर्यावरण मित्र होने के कारण यह अन्य कृत्रिम कपड़ों से बेहतर है.
एक समय था जब सिल्क केवल रईसों की ही पहुंच में था, पर 1990 के शुरुआती दौर में सैंडवाश्ड सिल्क के आगमन ने इसे मध्यवर्गीय लोगों तक पहुंचा दिया. सिल्क के क्षेत्र में कई प्रयोग भी किए गए और इसे कौटन, लिनेन, ऊन और यहां तक कि पोलिस्टर के साथ भी मिक्स किया गया. इस प्रकार बने कृत्रिम फैब्रिक्स को लोकप्रियता भी मिली.
क्या है सिल्क
सिल्क यानी रेशम रेशमकीट द्वारा निर्मित कोसों के तंतुओं से तैयार होता है. प्राकृतिक चमकदमक, रंगाई के लिए अनुकूल, हलका, जाड़े में गरमी तथा ग्रीष्म में ठंडक पहुंचाना, उत्कृष्ट वस्त्र विन्यास आदि इस के कुछ विशेष गुण हैं.
रेशमकीटों से रेशम प्राप्त करना एक बेहद लंबी व जटिल प्रक्रिया है. रेशम कीट एक विशेष किस्म के कागज पर अंडे देते हैं. उन अंडों में से निकलने वाले कीड़ों को ताजा शहतूत की पत्तियां खिला कर पाला जाता है. लगभग 35 दिनों बाद ये कीड़े अपने चारों तरफ एक खोल बनाना शुरू करते हैं. जब खोल पूरी तरह बन जाता है तो कीड़ा इसी में बंद हो जाता है. फिर इन कीड़ों को मार कर ऊपरी खोल से रेशम प्राप्त किया जाता है.
1 किलो ग्राम सिल्क बनाने के लिए 3,000 रेशमकीटों द्वारा लगभग 104 किलोग्राम शहतूत की पत्तियां खाना आवश्यक है.