6 साल का सुजोय जब बाथरूम में नहाने गया, तो बड़ों के जैसे उस ने बाथरूम को अंदर से बंद कर लिया. गलती से उस ने अंदर से दरवाजे को लौक भी कर दिया. जब निकलने के लिए उस ने बाथरूम को खोलना चाहा, तो असमर्थ रहा. अंदर से चिल्लाने पर उस की मां आई. घबराहट में उन्हें चाबी नहीं मिली. ताला तोड़ने वाले को बुला कर उसे बाथरूम से निकाला गया. इस दौरान सुजौय इतना घबरा गया था कि ठंड में भी उस के पसीने छूटने लगे थे. ऐसा सिर्फ सुजोय के साथ ही नहीं, अमूमन हर घर में किसी न किसी बच्चे के साथ ऐसा होता रहता है जहां बच्चा बाथरूम या बैडरूम में अपनेआप को बंद कर लेता है.
यह सही है कि बच्चों में बड़ों की नकल करने के साथ जिज्ञासाएं भी बहुत अधिक होती हैं. उन्हें कुछ न कुछ करते रहने की आदत होती है. वे अनजाने में ही कई बार बड़ी समस्या खड़ी कर देते हैं. ऐसे में मातापिता को हमेशा ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि उन का घर ‘चाइल्डफ्रैंडली’ हो. इस बारे में गोदरेज लौकिंग सिस्टम के एक्सपर्ट श्याम मोटवानी कहते हैं कि ताले का प्रयोग अलगअलग जगह के हिसाब से करना चाहिए. इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होती है कि कौन सा ताला कहां लगाया जाए. लोग अधिकतर ताला उठाते हैं और अपने हिसाब से दरवाजा लौक कर के निकल जाते हैं.
आजकल के बच्चे बहुत होशियार होते हैं. वे मातापिता की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं. अगर उन से छिपा कर वे कुछ लौक कर के रखते हैं, तो उन की उत्सुकता और अधिक बढ़ जाती है और खाली घर पा कर वे उसे खोल लेते हैं. इस से कई बार जरूरी कागजात बच्चों के हाथ आ जाते हैं. इतना ही नहीं, कई