सरला सुबह उठते ही भागना शुरू कर देती हैं. वे सुबह 4 बजे उठ कर रात के 10 बजे तक घर के कामों में लगी रहती हैं. पर काम है कि खत्म ही नहीं होता है. वे जितनी मेहनत करती हैं उस हिसाब से उन का आउटपुट काफी कम रहती है.

सरला समझ नहीं पाती हैं कि इतनी मेहनत के बाद भी वे कभी पूरी तरह से संतुष्ट क्यों नहीं हो पाती हैं?

‘मैं बिजी हूं, मेरे पास टाइम नही है, ये शब्द सरला के मुंह पर सुबह 4 बजे से रात 10 बजे तक रहते हैं.

दूसरी तरफ कनिका सुबह उठ कर घर का काम करती हैं, फिर दफ्तर जा कर 8 घंटे काम में व्यस्त रहती हैं परंतु न कनिका कभी थकती हैं और न ही कभी स्ट्रैस्ड रहती हैं. कनिका सरला से अधिक काम करती हैं परंतु वे बिजी नहीं इजी रहती हैं. शायद यह वाक्य आप को कुछ अजीब लगे कि कोई बिजी रह कर ईजी या रिलैक्स कैसे रह सकता है? मगर यह एकदम सही है कि हम 24 घंटे काम कर के भी इजी रह सकते हैं.

आप के आसपास ऐसे बहुत से लोग होंगे जो रिटायरमैंट के बाद भी हर समय बिजी रहते हैं.

चाहे 6 साल का बच्चा हो या 60 साल का आदमी, हम शारीरिक से अधिक बिजी मानसिक होते हैं. यह मानसिक थकान ही हमें बिना किसी काम के शारीरिक रूप से भी थका देती है.

रूपा का सुबह सवेरे का एक ही रूटीन है. वे दिन की शुरुआत ही इस बात से करती हैं कि बहुत काम है, बहुत काम है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...