कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में लगातार बढ़ रहा है. इसका सही इलाज और वैक्सीन अभी तक नहीं निकल पाया है. लॉक डाउन ने इसे कुछ हद तक काबू अवश्य किया है, पर आकडे और मरने वालों की संख्या में कमी नहीं आ पा रही है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन भी इस बीमारी के बारें में अधिक जानकारी नहीं दे पा रहा है. ऐसे में सभी को इस बीमारी के साथ ही रहना और काम करना होगा, क्योंकि अधिक लॉक डाउन से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा रही है. लोग बीमारी से नहीं बल्कि भूख से मरने लगेंगे. ऐसे में लॉक डाउन के बाद सब शुरू करने के लिए सरकार और आम लोगों को कुछ ख़ास ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर पर देनी पड़ेगी, ताकि इस बीमारी से लोग कम संक्रमित हो और काम चलता रहे.

इस बारें में मुंबई की आशापुरा इंटीरियर्स के इंटीरियर डिज़ाइनर विजय पिथाडिया कहते है कि लॉक डाउन का असर आम जनजीवन पर बहुत अधिक पड़ रहा है, जिसका अंदाज लगाना संभव नहीं, ऐसे में आज हर व्यक्ति खुले घर और ऑफिस की मांग कर रहा है, जिसके लिए मुझे भी वैसी ही डिजाईन कम स्पेस में करने के बारें में सोचना पड़ रहा है. कोरोना वायरस बहुत जल्दी फैलता है, इसलिए व्यक्ति के काम करने और रहने की जगह पर हायजिन, साफ़ सफाई और सोशल डिस्टेंस को बनाये रखने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, ऐसे में कुछ आदतों का नियमित पालन करने से इस बीमारी से बचा जा सकता है. कुछ ख़ास बदलाव हमारे रहन सहन और ऑफिस कल्चर में होने की जरुरत होगी, ताकि लोग संक्रमित होने से बच सकें, जो निम्न है,

1. वर्क फ्रॉम होम इस समय काफी कारगर होगी, जो लोग घर से काम कर सकते है वे लॉकडाउन के बाद भी करेंगे और ये एक ट्रेंड भी बन चुका है, ऐसे में डिज़ाइनर्स को वैसे ही सेटअप बनाए की जरुरत होगी, ये सही भी है, क्योंकि इससे ऑफिस जैसे किसी भी प्रकार की सेटअप की जरुरत नहीं होगी.

2. ऑफिस में हवा, पानी और वेंटिलेशन की व्यवस्था होने से बीमारी कम होगी, जो इम्युनिटी को बढ़ाने में सहायक होगी.

3. जो लोग घर से काम कर रहे है उनके लिए वर्क प्लेस वाला कमरा अलग, कम्फ़र्टेबल, सही फर्नीचर और शांत वातावरण वाला होना चाहिए.

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4. कमरे के बाहर अगर बालकनी हो, तो उसमें थोड़ी बागवानी करन आवश्यक होगा, ताकि फ्रेश और सुकून वातावरण मिले, साथ ही थोड़े हर्ब प्लांट लगायें, जो कम स्पेस में अच्छी तरह से उग सकें.

5. स्पेस प्लानिंग अब अधिक करनी पड़ेगी, फ्लैट की बनावट भी उसी तरह से करनी पड़ेगी, ताकि हर ग्रुप एक दूसरे से अलग रहे.

6. मुंबई जैसे शहर में हर परिवार के लिए एक छोटा कमरा लेना अब जरुरी हो चुका है, क्योंकि यहाँ अधिकतर लोग झोपड़ पट्टी में रहते है, जहां टॉयलेट की व्यवस्था भी अच्छी नहीं होती, जिसकी वजह से कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला है और सोशल डिस्टेंस को बनाये रखना भी मुश्किल हो रहा है,

7. इसके अलावा ऑफिस की प्लानिंग में हायजिन के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना आवश्यक होगा, जिसमें 6 फीट कांसेप्ट यानी काम करने वाले व्यक्ति एक दूसरे से 6 फीट की दूरी पर बैठना जरुरी होगा, ऐसे में 500 स्क्वायर फीट के ऑफिस में 5 से 6 कर्मचारी का बैठना सही हो पायेगा,

8. सारे कोरोना वायरस से जुड़े सारे नियमों की सूचीं ऑफिस में लगाई जानी चाहिए, जिसे कर्मचारी ऑफिस पहुँचने के बाद पालन करें, मास्क, ग्लव्स, सेनिटाइजेशन जैसे सारे निर्देशों का सख्ती से पालन करना जरुरी होगा,

9. फेस टू फेस मीटिंग्स अभी कोई करना नहीं चाहेगा, ऐसे में रिमोट मीटिंग्स की व्यवस्था अभी अधिक होगी और उसकी व्यवस्था हर ऑफिस में होने की जरुरत होगी.

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कोरोना वायरस के लगातर बढ़ते केस की वजह से लोग चिंतित और डरे हुए है, लेकिन सावधानी बरतने से इस बीमारी से बचा जा सकता है. बी इंटीरियर्स की इंटीरियर डिज़ाइनर बद्रिशा शाह कहती है कि हमारे देश में परंपरा और संस्कृति को लोग पसंद करते है और उसी के अनुसार घरों और ऑफिस को सजाना चाहते है, जो कुछ बदलाव के साथ किया जाना संभव है, 5 टिप्स निम्न है, जिसे अपनाकर व्यक्ति इस संक्रमण से बच सकता है,

1. घरों में मल्टीप्ल फंक्शनल फर्नीचर का प्रयोग करन पड़ेगा, जिसके द्वारा बेडरूम को वर्क प्लेस में बदलना संभव हो सकेगा, इससे लोकल ट्रांसपोर्ट को अवॉयड किया जा सकेगा,

2. माल्स और शौपिंग काम्प्लेक्स में टेक्नोलॉजीका प्रयोग अधिक करना पड़ेगा, जिसमें बॉडी स्कैनर, थर्मल कैमरे को लगाना, सेनिटाइजेशन का इंस्टालेशन किया जाना आदि करना पड़ेगा, लिफ्ट में 4 यात्री होने के साथ-साथ वौइस् ऑपरेटेड सिस्टम की जरुरत पड़ेगी,

3. ट्रेवलिंग के दौरान सेफ्टी को पालन करने के लिए सेफ्टी सूट पहनना, बसेस और ट्रेन्स को फिर से डिजाईन करने की जरुरत है, जिसमें सोशल डिस्टेंस पर पूरा धयान रखते हुए सीमित संख्या में यात्री होने की आवश्यकता होगी.

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4. ये सही है कि मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहरों के लिए सोशल डिस्टेंस का पालन करना मुश्किल है, ऐसे में लोगों की मूवमेंट कम करने के लिए सोशल नेटवर्क और वर्चुअल कम्युनिकेशन सिस्टम को सरकार के सहयोग से विकसित करना पड़ेगा और सबको मुफ्त में मुहैया करवानी पड़ेगी, ताकि काम करना आसान हो, साथ ही इकॉनमी भी जल्दी-जल्दी पटरी पर आने में समर्थ हो.

5. इसके अलावा सेनेटाइजिंग और वेस्ट मैनेजजमेंट का निर्धारण सावधानी पूर्वक करना होगा, ताकि बीमारी कम हो, लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बनी रहे और पर्यावरण प्रदूषण से भी बचा जा सके, ये जिम्मेदारी हर नागरिक की होगी.

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