कोहेफिजा पुराने भोपाल का घना रिहायशी इलाका है. यहां के आरके टौवर में रहने वाले मुजीब अली पिछले 14 सितंबर को दोपहर के कोई 1 बजे कुछ देर के लिए अपने एक दोस्त से मिलने गए थे. लेकिन जब वापस लौटे तब तक चोर दिनदहाड़े उन के क्व1 लाख के जेवर और कैश ले कर चंपत हो चुके थे.

चोरी करने के लिए चोरों को ज्यादा मशक्कत भी नहीं करनी पड़ी थी. मिनटों में उन्होंने घर के कमरों की तलाशी ली और अलमारियों में रखे जेवर व कैश जेब में ठूंस कर आराम से चलते बने. लेकिन पीछे छोड़ गए एक सबक कि घर से बाहर कुछ घंटों के लिए जाएं या कुछ दिनों के लिए, कीमती सामान ऐसी आसान जगहों पर न रखें या छिपाएं जहां चोरों के हाथ आसानी से पहुंच जाते हैं और वे अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं.

इसी तरह भोपाल के ही गेहूंखेड़ा इलाके के रौयल भगवान ऐस्टेट के परवेज खान जोकि एक कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर हैं, पिछले 18 सितंबर को अपने बड़े बेटे की सगाई में शामिल होने के लिए मुंबई गए थे. जब सगाई कर वे वापस लौटे तो यह देख सकते में आ गए कि घर के दरवाजे का सैंट्रल लौक कटा पड़ा है. घर के अंदर जाने पर पता चला कि चोरों ने और 4 ताले तोड़ कर अलमारी में रखे जेवर, कीमती घडि़यां और ढाई लाख रुपए पर हाथ साफ कर दिया है. नजारा देख परवेज के पास अपने हाथ मलते रहने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था. चोर क्व6 लाख का माल एक झटके में ले उड़े थे.

उन्हें पता रहता है

भोपाल के इन 2 ही नहीं, बल्कि देशभर में चोरी की अधिकतर वारदातों में एकसमान बात यह है कि चोरों को मालूम रहता है कि घर का कीमती सामान कहां रखा होता है. लिहाजा, उन्हें आप के खूनपसीने की गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ करने में कोई खास दिक्कत पेश नहीं आती.

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लोग घरों के भारीभरकम दरवाजों पर मोटेमोटे ताले लटका कर निश्चिंत हो कर चले तो जाते हैं पर जब वापस लौटते हैं तो यह देख अपना सिर पीट लेते हैं कि कमबख्त शातिर चोरों ने जाने कैसे महंगी अलमारी के सेफ को भी तोड़ डाला है और उस में रखा कीमती सामान अब उन का अपना नहीं रह गया है.

आधुनिक और सुरक्षित समझी जाने वाली महंगी अलमारियां अब कतई महफूज नहीं रह गई हैं, क्योंकि अधिकतर मामलों में चोर सीधे इन्हीं में सेंधमारी करते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम रहता है कि माल यहीं रखा जाता है या रखा गया है. उन का यह अंदाजा अकसर गलत भी नहीं निकलता.

जब अलमारी की तिजोरी आसानी से तोड़ सकते हैं तो घर की दूसरी जगहें तो और भी असुरक्षित होती हैं. मसलन, बौक्स वाला पलंग या दीवान जिस के अंदर लोग गहने व पैसे छिपा कर रखते हैं वे भी चोरों के निशाने पर हमेशा रहते हैं. यह सोचना बेमानी है कि तिजोरी या अलमारियों में माल नहीं मिलेगा तो चोर दीवान को छोड़ देंगे, जिन में ठूंसठूंस कर कपड़ों और बिस्तरों के बीच नजाकत और हिफाजत से लोग कीमती सामान रखते हैं.

यानी चोरों को पता रहता है कि कीमती सामान रखने के लिए लोग किनकिन ठिकानों और तरीकों का इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा, उन्हें चोरी करने में कोई खास परेशानी पेश नहीं आती.

फिर कहां रखें

बात सच है कि जब चोरों को अंदाजा रहता है कि कीमती सामान घर में कहांकहां हो सकता है तो उन्हें चोरी करने से कोई रोक नहीं सकता.

हालांकि चोरी से बचने के लिए कई लोग जेवरात और दूसरे कीमती आइटम बैंक लौकर्स में रखते हैं. लेकिन यह भी कम दिक्कत वाला काम नहीं. वजह एक तो बैंक लौकर सस्ते नहीं होते दूसरे साल में 2-4 मौके ऐसे आ ही जाते हैं जब गहने निकालने पड़ते हैं.

यह झंझट वाला काम है कि जब भी किसी फंक्शन या शादी में जाना हो तो बैंक जा कर गहने निकालो फिर उन्हें वापस रखने जाओ.

फिर क्या करें और चोरों से बचने के लिए सामान कहां रखें? इस सवाल का जवाब देना भी आसान काम नहीं है. मगर इसे आसान बनाया जा सकता है वह भी इस तरह कि चोर जब घर में दाखिल हों, अलमारियां और तिजोरी तोड़ें तो उन के हाथ सिवाय खीझ के कुछ और न लगे. कीमती सामान घर में ही ऐसी जगह रखें जहां, उन के हाथ पहुंचे ही नहीं.

तिजोरी में माल न मिले तो चोर दीवान देखेंगे, फर्नीचर खंगालेंगे, फ्रिज, दूसरी अलमारियां व दराज खोलेंगे लेकिन यहां भी उन्हें सिवाय कागजों व कपड़ों के कुछ नहीं मिलेगा तो वे आप की कंगाली या चालाकी को कोसते वापस चले जाएंगे.

आजमाएं पुराने तरीके

 चोरीचकारी से बचने के लिए पुराने तरीके आजमाएं. ये तरीके कतई कठिन नहीं हैं लेकिन अलमारी और तिजोरी की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित हैं.

सब से प्रचलित पुराना तरीका गहनों को जमीन में गाड़ने का है. यह ठीक है कि आजकल अधिकतर मकान पक्के सीमेंट के बने होते हैं जिन्हें खोदा नहीं जा सकता लेकिन पुराने लोगों की समझदारी को नए तरीके से आजमाया जाए तो बात बन सकती है. घर बनवाते समय या बाद में बैडरूम में पलंग के नीचे के 2 टाइल्स उखाड़ कर गड्ढा बनाया जा सकता है और दीवारों में भी इसी तरह एक गुप्त स्थान बनवाया जा सकता है.

भोपाल के ही पिपलानी इलाके की 64 साल की दक्षिण भारतीय महिला एस. लक्ष्मी को साल में एक बार आंध्र प्रदेश जाना पड़ता है. लक्ष्मी के पास कोई 20 तोला सोना है जो आज तक चोरी नहीं हुआ जबकि 2 बार ऐसा हुआ कि जब वे आंध्रप्रदेश से वापस लौटीं तो चोर घर से सेंधमारी कर चुके थे लेकिन उन के हाथ सिवाय नाकामी के कुछ नहीं लगा था.

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दरअसल, लक्ष्मी जाने से पहले अपने गहने तेल की 20 लिटर लबालब भरी केन में रख जाती हैं. चोर किचन तक आए और डब्बेकनस्तर खोल कर भी देखे लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला. तेल की केन पर उन का ध्यान ही नहीं गया कि गहने इस में भी रखे हो सकते हैं.

लक्ष्मी की तरह आप भी जरा सी समझदारी दिखा कर कीमती सामान को चोरों की नजरों से बचा कर रख सकती हैं.

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