हेमंत एक वैब डिजाइनर है और अपने क्षेत्र में माहिर है. हाल ही में उसे पुरानी कंपनी से यह कहते हुए निकाल दिया गया कि आप क्लाइंट्स से ठीक से बात नहीं कर पाते और न ही उन्हें समझा पाते हैं। हमें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो क्लाइंट्स से ठीक से बात कर पाए.

यह कहानी केवल हेमंत की नहीं है, बल्कि कई युवा केवल इसी वजह से अपने कैरियर और निजी जिंदगी में मात खा रहे हैं. व्हाट्सऐप और इंस्टाग्राम के इस युग में जिसे सोशल मीडिया कहा जाता है, युवा और
टीनऐजर्स अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स पर काम करना भूलता जा रहा है. उन्हें सोशल मीडिया से इनपुट तो मिल रहा है लेकिन आउटपुट नहीं. यही वजह है कि जब भी वे किसी गंभीर स्थिति में पड़ते हैं, तो अपनी बात ठीक ढंग से रख नहीं पाते और फेल हो जाते हैं.

बात को प्रभावी ढंग से दूसरों तक पहुंचाना कम्युनिकेशन स्किल्स का एक हिस्सा है जोकि आप के जीवन के पर्सनल और प्रोफैशनल दोनों हिस्सों में काम आता है. तो आइए, जानते हैं कि कैसे आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स को सुधार सकते हैं और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं :

सुनो और सीखो

कम्युनिकेशन स्किल्स का सब से जरूरी हिस्सा है सुनना. जब कोई व्यक्ति आप के सामने अपनी बात कह रहा हो तो उसे ध्यान से सुनें. आप ने देखा होगा जब टीचर या इंटरव्यू लेने वाला आप से कुछ सवाल करता है तो वह बहुत ही ध्यान से आप की बात सुन रहा होता है.

सामान्य जीवन में लोग चाहते हैं कि उन की बात सुनी जा रही है. अपनी प्रतिक्रिया तैयार करने के बजाय, वास्तव में दूसरे व्यक्ति की बात सुनें. कहीं भी कोई संशय हो तो उसे स्पष्ट करने की कोशिश करें और आगे बढें.

भाषा का रखें ध्यान

आप किस से बात कर रहे हैं, यह मायने रखता है. जब आप किसी दोस्त से बात कर रहे हों, तो सामान्य
भाषा का इस्तेमाल करना ठीक है, लेकिन अगर आप अपने बौस को ईमेल या टैक्स्ट कर रहे हैं, तो किसी भी अनौपचारिक भाषा का इस्तेमाल न करें. शिष्टाचार वाले शब्दों का चुनाव करें. साफसुथरी भाषाशैली का इस्तेमाल करें.

बौडी लैंग्वेज हो बेहतर

शारीरिक भाषा यानी बाडी लैंग्वेज मायने रखती है. बहुत ज्यादा ऐक्टिव और अनऐक्टिव न दिखें. बातबात पर उछलें नहीं, बातों को ध्यान से सुनें और जवाब दें और बात करते समय आंख से आंख मिलाए रखें ताकि दूसरे व्यक्ति को पता चले कि आप उन की बातें ध्यान से सुन रहे हैं.

भाषा/बोली को साफ रखें

जब आप बोलें तो न वह बात बहुत तेजी से कही जाए कि सुनने वाले को दोबारा पूछना पङे और न ही बात इतनी स्लो हो कि सामने वाला आप की बात को काटना और अपनी बात कहना शुरू कर दे.

बोली को सुधारने के लिए आप आईने के सामने किताब को जोरजोर से पढ़ने और खुद का विश्लेषण करें. देखें कि आप को कहांकहां सुधार की जरूरत है. आप कब अटकते हैं और कहां अटकते हैं.

बात खत्म होने का इंतजार करें

अपनी बात बोलने से पहले सामने वाले की बात के पूरे होने का इंतजार करें तभी अपनी बात बोलें. तपाक से बात के बीच में न कूदें जैसे अकसर दोस्ती में होता है.

अगर बात ज्यादा लोगों के बीच में हो रही हो तो अपनी बात बोलने से पहले अपना हाथ उठाएं और इजाजत लें. ऐसा करने से आप को अपनी बात स्पष्ट रूप से बोलने का मौका मिलेगा.

नोट्स बनाने की रखें आदत

हमेशा एक आदत बनाएं। जब भी कोई चीज चरूरी लगे उसे नोट यानी लिख लें. जब आप किसी दूसरे व्यक्ति से बात कर रहे हों या जब आप किसी मीटिंग में हों, तो नोट्स लें और अपनी याद्दाश्त पर निर्भर न रहें. नोट्स बनाने की आदत आप की स्किल्स में भी सुधार करती है क्योंकि आप उसे सुन कर लिख रहे हैं तो वे चीज आप को अधिक समय तक याद रहेगी, इस की संभावना बढ़ जाती है.

टैक्टिंग यानी मैसेज करने और फोन पर बात न करने की आदत करें दूर

आजकल युवा और टीनऐजर्स इंट्रोवर्ट होने के नाम पर सिर्फ टैक्टिंग पर बात करना पसंद करते हैं. ऐसा करने से आप की कम्युनिकेशन स्किल्स पर गहरा प्रभाव पङता है.

अपने प्रोफैशनल लाइफ से कुछ साल पहले और बाद तक आदत डालें कि बात फोन पर हो जिस से आप की कम्युनिकेशन स्किल
बेहतर हो नकि आप में अचानक लोगों से बात करने पर झिझक हो.

कभीकभी फोन उठाना बेहतर होता है, अगर आप को लगता है कि आप के पास कहने के लिए बहुत कुछ है.

बोलने से पहले सोचें

हमेशा बोलने से पहले रुकें। जो पहली बात दिमाग में आए उसे न कहें. एक पल रुकें और ध्यान से
देखें कि आप क्या कहने वाले हैं और कैसे कहने वाले हैं. यह एक आदत आप को शर्मिंदगी से
बचाएगी. अगर आप के पास कहने के लिए कुछ नहीं है तो हङबङी में जबाव देने और बात कहने से बचें.
पहले सोचें फिर बोलें.

सकारात्मक सोच रखें

कोशिश करें कि आप का ऐटीट्यूड पौजिटिव हो. सभी से बात करें जो भी आप से बात करना चाह रहा है. किसी को नजरअंदाज न करें। यह आप के लिए एक निगेटिव पौइंट साबित हो सकता है.

पौजिटिव ऐटीट्यूड बनाए रखें और मुसकराएं. यहां तक ​​कि जब आप फोन पर बात कर रहे हों, तब भी मुसकराएं क्योंकि आप का पौजिटिव ऐटीट्यूड दिखेगा और दूसरे व्यक्ति को इस का एहसास होगा.

जब आप अकसर मुसकराते हैं और पौजिटिव ऐटीट्यूड दिखाते हैं, तो लोग आप के प्रति भी पौजिटिव
ऐटीट्यूड देते हैं.

सैल्फ कौन्फिडैंस बनाए रखें

अपना कौन्फिडैंस हमेशा बनाए रखें. अकसर लोग आप को अपनी पर्सनल और प्रोफैशनल लाइफ में नीचा या कमतर दिखाने की कोशिश करते हैं जिस से अकसर लोग अपना कौन्फिडैंस खोने लगते हैं. ऐसा न करें. किसी भी कारण से अपना कौन्फिडैंस न खोएं.

अगर आप को अपने अंदर कोई कमी लगती है तो उसे पूरा करने की कोशिश करें और निगेटिव सोच रखने वाले लोगों से दूर रहें. ऐसा करने से आप अपने अंदर का कौन्फिडैंस बनाए रख पाएंगे.

कम्युनिकेशन स्किल्स एक महत्त्वपूर्ण पहलू है. अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स पर काम करते रहें. खुद को पहले से बेहतर तरीके से और कौन्फिडैंस के साथ रखने से कामयाबी की संभावनाएं
बढ़ जाती हैं.

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