यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि कोरोना वायरस के चलते दो महीने से ज्यादा समय तक रहे लॉकडाउन में हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं. लेकिन यह अकेले हिंदुस्तान में ही नहीं हुआ. पूरी दुनिया बेरोजगारी के इस महासंकट से गुजर रही है. इसलिए आखिर कब तक हम इस बात का रोना रोते रहेंगे कि काश! कोरोना न आया होता (..और याद रखिए अभी ये गया नहीं,उल्टे बढ़ रहा है) तो ये होता, तो वो होता.
अब हमें इन रोनों गानों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए. क्योंकि कोरोना अभी तक किस्सा नहीं हुआ और कब होगा ये बात कोई भी दावे से नहीं कह सकता. अतः अब जरूरी है कि हम अपने उन तमाम कौशलों को इकट्ठा करें कि ऐसे संकटकाल में नौकरी कैसे और कहां पायी जा सकती है.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि जहां कोरोना की विभीषिका ने बहुत सारे क्षेत्रों में रोजगार के लिहाज से भयानक कहर ढाया है. मसलन- टूरिज्म, हाॅस्पिटैलिटी, फैशन, इंटरटेनमेंट आदि. वहीं कोरोना संकट के चलते कई क्षेत्रों में रोजगार की बढ़ोत्तरी भी हुई है. मसलन- हेल्थ केयर, हेल्थ टेक्नोलाॅजी, नियो बैंकिंग, फार्मा सेक्टर तथा पैक्ड ग्रोसरी इंडस्ट्रीज. करीब 70 दिन हिंदुस्तान पूरी तरह से लॉकडाउन में रहा है और अभी भी सीमित अर्थों में देश के दो तिहाई हिस्सों में लॉकडाउन लागू है. जाहिर है इन दिनों ज्यादातर काम लोगों ने अपने घरों से किया है. इसलिए अगर कहा जाए कि हिंदुस्तान में कोरोना के चलते एक झटके में वर्क फ्राम होम की कल्चर आ गई है तो इसमें कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
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