खिलौने बच्चों की सोचने की क्षमता बढ़ाने के साथसाथ उन्हें कुछ नया करने के लिए भी प्रेरित करते हैं. जानिए, कौनकौन से खिलौने कैसे हैं मददगार:

टैलीफोन गेम

बच्चा अपने खिलौने वाले टैलीफोन को अपने पास पा कर बेहद खुश होता है. उस के चेहरे की मुस्कुराहट से उस की खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह उस के लिए सिर्फ मनोरंजन का माध्यम ही नहीं, बल्कि वह इस के जरीए नंबर्स को पहचानने की भी कोशिश करता है और धीरेधीरे रिंग बजने का मतलब फोन उठाना और बात करना है, यह समझने लगता है. अपने खिलौने वाले फोन से झूठमूठ में अपने पेरैंट्स से बात करने की भी कोशिश करता है, जिस से उसे समझ आ जाता है कि फोन के माध्यम से वह किसी से भी बात कर सकता है.

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टी सैट

मां जब घर में मेहमानों के सामने चाय लाती है तो मां को ऐसा करता देख बच्चा भी यही सोचता है कि वह भी ऐसा कर पाता. ऐसे में टी सैट जहां बच्चों को नया खेल सिखाता हैं वहीं वे भी मां व घर के अन्य सदस्यों के लिए टी सैट में झूठमूठ की चाय बना कर परोसते हैं, जिस से खेलखेल में उन्हें मां के काम में हाथ बंटाना आता है.

मैडिकल किट

डाक्टरडाक्टर खेलना बच्चों को खूब पसंद आता हैं, क्योंकि जब उन के पेरैंट्स उन्हें बीमार होने पर डाक्टर के पास ले जाते हैं, तो डाक्टर उन का चैकअप कर के उन्हें दवा देने के साथसाथ इंजैक्शन भी लगाता है ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं. यह देख बच्चों के मन में भी ऐसा करने की इच्छा होती है. वे अपनी डौल को झूठमूठ में बीमार कर अपनी मैडिकल किट में से दवा देते हैं व इंजैक्शन लगाते हैं. वे इंजैक्शन लगाते समय यह भी एहसास कराने की कोशिश करते हैं कि इस से उसे दर्द नहीं होगा, बल्कि वह जल्दी ठीक हो जाएगी. यानी उन में इस के माध्यम से मैडिकल किट में रखी चीजों की समझ आ जाती है.

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