मेरे ऑफिस में काम करने वाली टाइपिस्ट कल शाम मुझे फोन पर किसी से 15-20 मिनट तक जीसैट-30 पर बात करते सुनने के बाद,मेरे पास आयी और कहा,’सर आपसे एक बात पूछ सकती हूं ?’ मैंने कहा, ‘हां पूछो ?’ तो,उसने कहा , ‘सर आप आज सुबह से जो इस जीसैट की बात कर रहे हो इससे हमें क्या फायदा होगा?’मैंने यह सवाल सुनकर महसूस किया कि यह एक मेरी टाइपिस्ट भर का सवाल नहीं है बल्कि बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि टीवी चैनलों के एंकर जिस जीसैट-30 के सफल प्रक्षेपण को देश और इसरो की बहुत बड़ी सफलता बता रहे हैं आखिर उसका देश के आम लोगों का क्या फायदा होगा ? इस लेख में इन्हीं आम सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश की जायेगी.

कितनी बड़ी उपलब्धि है जीसैट-30 का प्रक्षेपण

शुक्रवार [17 जनवरी 2020] को तड़के 2:35 बजे फ्रेंच गुआना के कौरू स्थित स्पेस सेंटर, ‘यूरोपियन रॉकेट एरियन 5-वीटी 252’ से हिन्दुस्तान का अब तक का सबसे ताकतवर संचार उपग्रह लांच किया गया.लांच किये जाने के करीब 38 मिनट 25 सेकंड बाद ही यह जियो-इलिप्टिकल ऑर्बिट में स्थापित हो गया.इसका वजन 3357 किलोग्राम है.हालांकि यह अब तक का सबसे वजनी संचार उपग्रह नहीं है है. भारत का अब तक का सबसे वज़नी उपग्रह जीसैट-11 था जो इसी यूरोपीय स्पेस एजेंसी से 5 दिसंबर 2018 को प्रक्षेपित किया गया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के मुताबिक़ जीसैट-11 का वज़न 5,854 किलोग्राम था.यह उसका बनाया अब तक का सबसे भारी सैटेलाइट है.यह सैटेलाइट इतना बड़ा था कि इसका हर सोलर पैनल किसी सेडान कार के बराबर था.बहरहाल जीसैट-30 वजन में भले जीसैट-11 से कम हो लेकिन ताकतवर उससे कहीं ज्यादा है.

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