शादी के बाद सृष्टि की पहली दीवाली थी. उस के सासससुर और जेठजेठानी पास ही दूसरे फ्लैट में रहते थे. सृष्टि के पति मनीष को कंपनी की तरफ से अलग मकान दिया गया था जिस में दोनों पतिपत्नी अकेले रहते थे. सृष्टि भी जौब करती थी इसलिए घर में दिन भर ताला लगा रहता था.

औफिस में दीवाली की छुट्टी एक दिन की ही थी पर सृष्टि ने 2 दिनों की छुट्टी ले ली. वह अपनी पहली दीवाली यादगार बनाना चाहती थी. दीवाली वाले दिन मनीष को जरूरी मीटिंग के लिए बाहर जाना पड़ा. मीटिंग लंबी खिंच गई. लौटतेलौटते शाम हो गई. मनीष ने सृष्टि को फोन किया तो उस ने उठाया नहीं. घर लौटते वक्त मनीष यह सोचसोच कर परेशान था कि जरूर आज सृष्टि उस की खिंचाई करेगी या नाराज बैठी होगी.

असमंजस के साथ उस ने घंटी बजाई. दरवाजा खुला पर अंदर अंधेरा था. वह पल भर में ही तनाव में आ गया और जोर से चिल्लाया, ‘‘सृष्टि कहां होयार, आई एम सौरी.’’  तभी अचानक सृष्टि आ कर उस से लिपट गई और धीमे से बोली, ‘‘आई लव यू डियर हब्बी, हैप्पी दीवाली.’’

तभी दोनों के ऊपर फूलों की बारिश होने लगी. पूरे कमरे में रंगबिरंगी कैंडल्स जल उठीं और मनमोहक खुशबू से सारा वातावरण महक उठा. सामने बेहद आकर्षक कपड़ों और पूरे श्रृंगार के साथ सृष्टि खड़ी मुसकरा रही थी. मनीष ने लपक कर उसे बाहों में उठा लिया. सारा घर खूबसूरती से सजा हुआ था. टेबल पर ढेर सारी मिठाइयां और फायरक्रैकर्स रखे थे. सृष्टि मंदमंद मुसकरा रही थी. दोनों ने 1-2 घंटे आतिशबाजी का मजा लिया. तब तक मनीष के मातापिता, भाईभाभी और उन के बच्चे भी आ गए, सृष्टि ने सभी को पहले ही आमंत्रित कर रखा था. पूरे परिवार ने मिल कर दीवाली मनाई. यह दीवाली मनीष और सृष्टि के जीवन की यादगार दीवाली बन गई.

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