हर कोई मैट्रेस बहुत सोचसमझ कर खरीदते हैं ताकि वह लंबे समय तक चले. मगर इस के लिए उस के रखरखाव की जानकारी होनी भी जरूरी है.

फ्लिप करना: अकसर यह मिथ्य है कि मैट्रेस फ्लिप (साइड पलटी) कर इस की लाइफ बढ़ सकती है मगर बहुत पहले ऐसा होता आजकल जितने मैट्रेस आते हैं सिंगल साइड इस्तेमाल योग्य होते हैं.

बाहर से साफ दिखने का अर्थ ही साफ नहीं: मैट्रेस का साफ दिखने का मतलब यह नहीं है कि वह स्वच्छ और हाइजीनिक है. इस की सतह पर धब्बों के अतिरिक्त उस के अंदर डस्ट माइट्स होते हैं. एक व्यक्ति के शरीर से प्रति वर्ष औसतन 454 ग्राम डैड स्किन सैल गिरते हैं और 285 एमएल पसीना.

होम मेड क्लीनर से साफ कर सकते हैं: कुछ लोग शैंपू पानी आदि से बने क्लीनर से मैट्रेस की सफाई करना उचित समझते हैं. मगर ऐसा करने से पानी मैट्रेस के अंदर आएगा जिस के चलते बैक्टीरिया और मोल्ड यानी फफूंदी का जन्म होता है.

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मैट्रेस केयर के कुछ टिप्स

1. मैट्रेस को सपोर्ट चाहिए: मैट्रेस को सौलिड बैड सपोर्ट पर ही रखें.

2. उछलकूद: इस पर बच्चों को कूदने से मना करें वरना अंदर की फोम लेयर और स्प्रिंग (अगर स्प्रिंग वाला मैट्रेस है) खराब हो जाते हैं.

3. रोटेट करें: 3 से 6 महीनों पर इसे 180 डिग्री से घुमा सकते हैं यानी सिरहाने को पायताने कर सकते हैं वरना एक ही तरफ ज्यादा वियर टियर होगा. अगर बैड पर बैठ कर रोजाना कोई काम करते हों, जैसे जूते बांधना आदि, तो एक ही पोजीशन पर हमेशा न बैठें वरना उसी जगह ज्यादा वियर टियर होगा.

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