आजकल कोविड-19 की वजह से बच्चों के स्कूल बंद हैं और उन के ऑनलाइन क्लासेज चल रहे हैं. इधर कामकाजी महिलाओं को अपने ऑफिस के काम भी घर पर करने होते हैं. पहले मांएं बच्चों को स्कूल या खेलने भेज कर चैन से अपना काम करती थीं मगर अब हर समय बच्चे घर पर होते हैं. कामकाजी माँओं के लिए अपने काम के साथसाथ बच्चों की ऑनलाइन क्लासेज पर नजर रखना आसान नहीं होता. वे न तो अपना काम छोड़ सकती हैं और न बच्चों की पढ़ाई के प्रति ही लापरवाह हो सकती हैं. नतीजा यह होता है कि दोनों के बीच फंस सी जाती हैं.

आइए जानते हैं कामकाजी महिलाओं के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की क्या चुनौतियां हैं और उन से कैसे निपटा जा सकता है,

1.सब से पहली चुनौती तो यह आती है कि मां अपने ऑफिस का काम करे या बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई ठीक चल रही है या नहीं इस पर नजर रखे.

2.कई बार बच्चे पढ़ाई कम और दूसरे साइट्स खोल कर ज्यादा बैठ जाते हैं. वे लैपटॉप या फोन पर गलत चीजें देख सकते हैं. उन का मन एकाग्र नहीं होता और कई बार तो वे ऑनलाइन क्लास बंक कर के या क्लास खत्म कर के गेम्स खेलने लग जाते हैं.

3.ऑनलाइन क्लासेज के दौरान बच्चों की आंखों पर भी असर पड़ता है. लाइटिंग आदि की सही व्यवस्था न हो या क्लासेज लंबी चलें तो उन्हें तकलीफ हो सकती है.

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4.ऑनलाइन क्लास के लिए घर में नेटवर्क प्रॉब्लम न होना भी जरूरी है. साथ ही कई दफा यह समस्या भी आ जाती है कि घर में लैपटॉप और स्मार्ट फ़ोन की संख्या कम होती है जब कि वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेस करने वाले सदस्यों की संख्या ज्यादा हो जाती है. ऐसे में महिला को सब का ख़याल रखना पड़ता है.

5.बच्चों की क्लासेज़ और अपने ऑफिस के काम के साथ घर के काम निपटाना मां के लिए एक चुनौती भरा काम होता है.

इस संदर्भ में किंडरपास की फाउंडर शिरीन सुल्ताना से विस्तार में बातचीत हुई. उन के सुझाये कुछ उपाय निम्न हैं,

1.बच्चों का ध्यान भटकने से बचाएं

बच्चों का ध्यान न भटके इस के लिए मां को पेरेंटिंग कंट्रोल फीचर्स अपनाने होंगे. आप लैपटॉप या मोबाइल की सेटिंग्स में कुछ परिवर्तन कर बच्चों को गलत साइट या गेम ओवरडोज से बचा सकती हैं.

सब से पहले तो आप जिन साइट्स या गेम्स से बच्चों को दूर रखना चाहती हैं उन्हें ब्लॉक कर दें. सर्च इंजन जैसे गूगल, बिंग आदि के प्रिडिक्टिव टेस्ट का ऑप्शन बंद कर दें यानि इन में सर्च करते समय ऑटो सजेशन का फीचर ऑन न हो और बच्चे सर्च करते समय कुछ और न देखने लग जाएं. बच्चे छोटे हैं तो आप गूगल के बजाय बच्चों को kiddle.co सर्च इंजन का प्रयोग करना सिखाएं. यह पूरी तरह सुरक्षित है. डिफॉल्ट में kiddle.co लगा दें.
इसी तरह कोई लिंक वगैरह यूट्यूब के बजाय बच्चों को safetube.net पर खोलने की आदत डलवाएं. इस में कोई गलत कंटेंट नहीं होता.

बीचबीच में अपने काम से ब्रेक ले कर बच्चों पर नजर रखती रहें. वे क्या पढ़ रहे हैं और कितना समझ रहे हैं इस पर गौर करें. लैपटॉप, फोन आदि की हिस्ट्री चेक करती रहें कि बच्चे ने कहीं कोई गलत साइट तो नहीं खोली थी. बच्चे को पहले से ही यह बात समझा कर रखें कि गलत चीजों से दूर रहें. गलत लिंक ओपन न करें और उन्हें फॉरवार्ड भी न करें. इस से वायरस आ सकते हैं दिमाग में भी और लैपटॉप/फोन में भी. उन्हें समझाएं कि अपनी प्रिवेसी कैसे कायम रखी जा सकती है.

2.घर में बनाएं अलग वर्कस्पेस

अपने काम के लिए और बच्चों की पढ़ाई के लिए सोच-समझ कर जगह तय करें. इस स्थान पर अच्छी रोशनी हो ताकि बच्चे एकाग्रता के साथ पढ़ सकें. घर में उन्हें क्लासरूम जैसा अहसास हो. यह जगह बच्चे के सोने, खेलने के स्थान से दूर हो. इस के आसपास खिलौने आदि न रहें. सही माहौल में बच्चे जल्द ही ढल जाएंगे और इस स्थान पर क्लासरूम जैसा अनुभव पा सकेंगे.

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3.डिवाइस करें तैयार

औनलाईन लर्निंग ठीक से जारी रहे इस के लिए वायरलैस कनेक्शन होना ज़रूरी है. ऐसा कनेक्शन चुनें जिस का बैण्डविड्थ आप के काम और बच्चों की पढ़ाई दोनों के लिए उपयुक्त हो . उचित स्क्रीन चुनें ताकि टेक्स्ट देखते समय आंखों पर ज़ोर न पड़े. अगर आप का काम और बच्चे की औनलाईन कक्षा का समय एक ही है तो सुनिश्चित करें कि आडियो सिस्टम में किसी तरह की रूकावट न आए. इस के लिए आप हैडफोन्स का इस्तेमाल कर सकती हैं.

4.दिनचर्या और अनुशासन

लाॅकडाउन केे कारण लोगों की दिनचर्या बदल गई है. चीजें धीमी गति से बढ़ रही हैं. मगर घर में भी स्कूल जैसी दिनचर्या बना कर आप बच्चे के जीवन को व्यवस्थित बना सकती हैं. बच्चों को समय पर जगाएं, क्लास का समय होने से पहले नाश्ता दें, दिन के टाईमटेबल के अनुसार उन की किताबें तैयार करें. सुनिश्चित करें कि क्लास के दौरान बच्चे बारबार ब्रेक न लें. शाम में कुछ समय होमवर्क के लिए तय करें. इस तरह का अनुशासन बनाए रखना आसान नहीं है लेकिन अगर इसे आदत बना लिया जाए तो जीवन आसान हो जाएगा.

5.ब्रेक के लिए समय निर्धारित करें

बच्चे खासकर छोटे बच्चों की एकाग्रता 25 मिनट से ज़्यादा नहीं रहती. बच्चों से कहें कि ब्रेक के दौरान किसी पालतू जानवर के साथ खेलें, थोड़ा चलेंफिरें या परिवार के सदस्यों के बीच समय बिताएं. इसतरह का छोटा सा ब्रेक आप को और आप के बच्चे के दिमाग को तरोताज़ा कर देता है और चीज़ें व्यवस्थित रूप से चलती रहती हैं.

6.अपने बच्चे की ज़रूरत को समझें

हर बच्चे के सीखने का तरीका अलग होता है. कुछ बच्चों के लिए औनलाईन क्लासेज़ आसान हैं तो वहीं कुछ को इस के लिए ज़्यादा मार्गदर्शन की आवश्यकता है. प्ले स्कूल या छोटी कक्षाओं के बच्चों के लिए सुबह क्लास शुरू होते ही पूरे दिन के विषयों की जानकारी दे दी जाती है. कोशिश करें कि आप इस समय बच्चे के साथ रहें. इस से आप बच्चे की ज़रूरत के अनुसार पूरे दिन के लिए तैयार रहेंगी. आप अपने बच्चे के लर्निंग के तरीके को सब से अच्छी तरह जानती हैं. बच्चे के पाठ को छोटेछोटे हिस्सों में बांटें और उस के पढ़ने के लिए ऐसा समय तय करें जब बच्चा सब से ज़्यादा ध्यान दे सके.

7.सुनिश्चित करें कि आंखों पर तनाव न बढ़े

आजकल ज़्यादातर मातापिता बच्चों के स्क्रीन टाईम को लेकर परेशान हैं. बच्चों में सिरदर्द, आंखों पर दबाव की शिकायत बढ रही है. इस के लिए 20 :20: 20 आसान नियम है. हर 20 मिनट के बाद 20 सैकण्ड के लिए 20 फीट दूरी पर स्थित किसी चीज़ को घूरें.

ऑनलाइन पढ़ाई का असर बच्चों की आंखों पर न पड़े इस के लिए आप बच्चे की स्क्रीनटाइम लिमिट कर दें. पढ़ाई के बाद तुरंत टीवी या वीडियो में न उलझने दें. उन्हें बीचबीच में स्क्रीन से दूर करते रहे इस के लिए आप खुद बच्चों के साथ कैरम ,चेस, बैडमिंटन जैसे खेल खेल सकती हैं या उन्हें बाहर दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए भेज सकती हैं. आप रोज बच्चे को एक घंटे कोई किताब पढ़ कर सुना सकती हैं या उसे खुद पढ़ने के लिए बोलें. वीडियो कॉल पर उन की रिश्तेदारों से बात कराएं या ग्रीटिंग कार्ड्स, पेंटिंग आदि बनाने को कहें. आप बच्चे की दोस्त बन कर रहे हैं न कि स्ट्रिक्ट पैरेंट बन कर.

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बच्चे को आई एक्सरसाइज करने या थोड़ी थोड़ी देर पार्क में घूमने के लिए भी बोलें. आप बीचबीच में ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बच्चे की परफॉर्मेंस पर नजर रखती रहें. क्लास खत्म होने के बाद उन को बैठा कर पूछे कि आप आज क्याक्या पढ़ाया गया और किस विषय में उसे कुछ समझने में कठिनाई महसूस हुई. आप बच्चों की डेली बेसिस पर रिविज़न कराएं न कि वीकली बेसिस पर. बच्चों को टीचर या दोस्तों के आगे कभी न डांटे मगर क्लास के बाद उसे समझाने से न चूकें कि क्या गलत है और क्या सही.

अध्यापकों, अभिभावकों और बच्चों के लिए घर से पढ़ाई, लर्निंग का एक नया तरीका बन चुका है. इसे प्रभावी बनाने के लिए सकारात्मक रहें और धैर्य रखें. एक साथ मिल कर आप स्थिति को अधिक अनुकूल बना सकते हैं.

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