बच्चे के शरीर की मसाज यानी मालिश उस के लिए बेहद फायदेमंद होती है. मसाज जहां एक ओर बच्चे के विकास में मदद करती है, वहीं दूसरी ओर मां और बच्चे को भावनात्मक रूप से भी जोड़ती है.

अध्ययनों से पता चला है कि मसाज करने से बच्चा सहज हो जाता है, उस का रोना कम हो जाता है और वह चैन की नींद सोता है. इतना ही नहीं कब्ज और पेट दर्द की शिकायत भी मसाज से दूर हो जाती है. इस से बच्चे में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी पैदा होती है.

कब शुरू करें बेबी मसाज

1 महीने की उम्र से बच्चे की मालिश शुरू की जा सकती है. इस समय तक अंबिलिकल कौर्ड गिर जाती है, नाभि सूख चुकी होती है. जन्म की तुलना में त्वचा भी कुछ संवेदनशील हो जाती है. त्वचा में कसावट आने लगती है. इस उम्र में बच्चा स्पर्श के लिए बेहतर प्रतिक्रिया देता है.

बौडी मसाज के फायदे

मसाज के कई प्राकृतिक फायदे हैं:

– बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास होता है.

– बच्चे की पेशियों को आराम मिलता है.

– बच्चा अच्छी और गहरी नींद सोता है.

– उस का नर्वस सिस्टम विकसित होता है.

– अगर बच्चा कमजोर है तो उस के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.

– सर्कुलेटरी सिस्टम का बेहतर विकास होता है.

कैसे करें मसाज

मसाज करते समय ध्यान रखें कि कमरे में गरमाहट हो, बच्चा शांत हो और आप भी रिलैक्स रहें. ऐसा मसाज औयल चुनें जो खासतौर पर बच्चों की मसाज के लिए बनाया गया हो.  बिना खुशबू वाले प्राकृतिक तेल का इस्तेमाल बेहतर होगा. जब बच्चा सो कर उठे या फिर नहाने के बाद उस की मसाज की जाए तो बेहतर होगा. 10 से 30 मिनट तक उस की मसाज कर सकती हैं.

सिर्फ मसाज करना ही काफी नहीं होता, बच्चे को मसाज तभी अच्छी लगेगी, जब इस का तरीका सही हो. जानिए, मसाज के तरीके को:

पहला चरण

अनुमति लेना: अनुमति लेने का अर्थ है कि आप को बच्चे की मसाज तब नहीं करनी चाहिए जब वह न चाहे. जब उसे मसाज करवाना अच्छा लगे, तभी उस की मालिश करें. हथेली में थोड़ा तेल ले कर इसे बच्चे के पेट पर और कानों के पीछे रगड़ें. इस के बाद बच्चे का व्यवहार देखें. अगर वह रोता है या परेशान होता है, तो समझ जाएं कि यह मसाज करने का सही समय नहीं है. यदि आप महसूस कर रही हैं कि उसे मसाज अच्छी लग रही है, तो आप मसाज कर सकती ं हैं. शुरुआत में बच्चा मसाज से असहज महसूस करता है, लेकिन धीरेधीरे उसे मसाज में मजा आने लगता है.

दूसरा चरण

टांगों की मालिश करें: मसाज की शुरुआत बच्चे की टांगों से करें. हथेली पर तेल की कुछ बूंदें ले कर बच्चे के तलवों से शुरुआत करें. अपने अंगूठे की मदद से उस की एड़ी से उंगलियों की तरफ बढ़ें. धीरेधीरे अंगूठे को गोलगोल घुमाते हुए दोनों तलवों पर मसाज करें. पैरों की उंगलियों को न खींचें जैसे वयस्कों की मसाज में आमतौर पर किया जाता है. इस के बजाय हलके हाथों से मसाज करें.

अब एक टांग को उठाएं और हलके हाथ से टखने से कूल्हे की ओर मालिश करें. अगर बच्चा रिलैक्स और शांत है तो दोनों टांगों की मसाज एकसाथ करें. इस के बाद दोनों हाथों से कूल्हों को हलकेहलके दबाएं जैसे आप टौवेल निचोड़ती हैं.

तीसरा चरण

हाथों और बाजुओं की मालिश: टांगों के बाद बाजुओं की मालिश उसी तरह करनी चाहिए जैसे आप ने टांगों की मसाज की. बच्चे के हाथ पकड़ें और हथेलियों पर गोलगोल घुमाते हुए मसाज करें. उंगलियों की भी भीतर से बाहर की ओर मसाज करें. इस के बाद कलाइयों को ऐसे रगड़ें जैसे चूडि़यां पहनाई जाती हैं.

इस के बाद हलके हाथ से बाजुओं के निचले हिस्से और फिर ऊपरी हिस्से पर मालिश करें. पूरी बाजू की मसाज उसी तरह करें जैसे आप टौवेल निचोड़ती हैं.

चौथा चरण

छाती और कंधों की मसाज: बाएं और दाएं कंधे से छाती की ओर हाथ चलाते हुए मालिश करें. आप हाथों को पीछे से कंधे की ओर भी ले जा सकती हैं. इस के बाद दोनों हाथों को छाती के बीच में रखें और बाहर की तरफ मसाज करें.

अब स्टर्नम के निचले हिस्से, छाती की हड्डी से बाहर की ओर मसाज करें. इस दौरान आप के स्ट्रोक ऐसे हों जैसे आप हार्ट की शेप बना रही हैं.

5वां चरण

पेट की मालिश: छाती के बाद पेट की मालिश करनी चाहिए. ध्यान रखें कि बच्चे के शरीर का यह हिस्सा बहुत नाजुक होता है, इसलिए आप को दबाव बहुत कम रखना चाहिए. पेट के ऊपरी हिस्से से शुरुआत करें. अपनी हथेली को छाती की हड्डी के नीचे रखें और

पेट पर नाभि के चारों ओर गोलगोल घुमाते हुए मसाज करें. इस दौरान हाथों का दबाव बहुत हलका होना चाहिए.

घड़ी की सुई की दिशा में हाथों को गोलगोल घुमाएं (नाभि के चारों ओर) छोटे बच्चों की नाभि बहुत संवेदनशील होती है, क्योंकि हाल ही में उन की अंबिलिकल कौर्ड गिरी होती है, इसलिए इस हिस्से पर मालिश करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए.

छठा चरण

चेहरे और सिर की मालिश: छोटे बच्चों के चेहरे और सिर की मालिश करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि बच्चे बहुत ज्यादा हिलते हैं. अपनी उंगली को बच्चे के माथे के बीच में रखें और बाहर की ओर मालिश करें. इसी तरह ठुड्डी से ऊपर तथा बाहर की ओर उंगलियों को गोलगोल घुमाते हुए मालिश करें. इन स्ट्रोक्स को कई बार दोहराएं.

चेहरे के बाद सिर की मालिश ठीक उसी तरह करें जैसे शैंपू करते समय उंगलियों को घुमाती हैं. उंगलियों के छोरों से हलका दबाव डालें. बच्चे की खोपड़ी बहुत नाजुक होती है, इसलिए दबाव बहुत ज्यादा न हो.

7वां चरण

पीठ की मालिश: सब से अंत में पीठ की मालिश करें. बच्चे को पेट के बल लिटा दें. इस दौरान उस के हाथ आप की तरफ हों.

पीठ के ऊपरी हिस्से पर उंगलियां रखें और घड़ी की सुई की दिशा में हलके हाथों से घुमाते हुए नितंबों तक आएं. यह प्रक्रिया कम से कम 8 से 10 बार दोहराएं.

अपनी पहली 2 उंगलियों को रीढ़ की तरफ रख कर नितंबों तक आएं. इन स्ट्रोक्स को कई बार दोहराएं. उंगलियों को रीढ़ की हड्डी पर न रखें. इस के बजाय साइड में रख कर नीचे की तरफ मसाज करें.

कंधे की मसाज करने के लिए हाथों को कंधों पर गोलगोल घुमाएं. हलके हाथों से पीठ के निचले हिस्से और नितंबों की मालिश भी करें. इसी स्ट्रोक के साथ मसाज खत्म करें.

मसाज के बाद टिशू पेपर से बच्चे के शरीर से अतिरिक्त तेल पोंछ लें. मसाज के लिए एक समय रखें. इस से बच्चे की दिनचर्या बन जाएगी और वह मालिश के दौरान ज्यादा सहज रहेगा.

– डा. आशु साहनी, जेपी हौस्पिटल, नोएडा  

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