शादी बेहद नाजुक बंधन होता है, जिस में 2 लोग अलगअलग परिवारों व अलग तरह के परिवेश से आते हैं. ऐसे में साथ मिल कर रहना और रिश्ते को संभालना काफी बड़ी जिम्मेदारी होती है. कई बार तालमेल न बैठने के कारण विवाह के बाद रिश्ते में दरार आ जाती है, तो कई दफा रिश्ता टूटने तक की नौबत आ जाती है. ऐसा न हो इस के लिए विवाह से पहले ही ये बातें साफतौर पर कर ली जाएं तो बेहतर है:
एकसाथ चुनौतियों का सामना
शादी का अर्थ सिर्फ साथ रहना ही नहीं है बल्कि साथ मिल कर आने वाली चुनौतियों का सामना करना भी होता है. ये चुनौतियां पारिवारिक, आर्थिक, मानसिक हो सकती हैं. ऐसे में अपने साथी के साथ मिल कर इन्हें सुल झाना और बिना नाराज हुए एकदूसरे की समस्याओं को भी दूर करना है.
कई दफा ऐसा भी होता है कि एक व्यक्ति जिम्मेदारियों से भागता है या सोचता है कि शादी के पहले तो इन समस्याओं के बारे में जिक्र नहीं किया था, तो अब मैं क्यों इन का हिस्सा बनूं. ऐसी सोच को रिश्ते के बीच न आने दें.
वक्त कभी एकसा नहीं होता. हो सकता है आज आप का साथी जिस मुश्किल में है कल आप उस की जगह पर हों. इसलिए समस्याओं से भागने के बजाय साथ मिल कर उन का सामना करें.
पारिवारिक दखलंदाजी
शादी सिर्फ 2 व्यक्तियों की ही नहीं बल्कि 2 परिवारों की भी होती है. लेकिन विवाह के बाद पतिपत्नी के बीच में परिवार का जरूरत से ज्यादा दखल रिश्ते में दरार पैदा कर देता है. इसलिए अच्छा होगा कि विवाह के पहले ही इस बारे में साफतौर पर बात कर ली जाए. इस के अलावा दोनों साथियों को इस बारे में भी बात कर लेनी चाहिए कि हर छोटी बात को घर वालों के साथ सा झा नहीं किया जाएगा.