2 साल के अस्मित ने अभी नया नया ही चलना सीखा है पर जैसे ही वह खुद चलने की कोशिश करता है तो उसके गिरने के डर से मां मीता उसे गोद में उठा लेती है या फिर हाथ पकड़ कर चलाती है...इससे अस्मित भी धीरे धीरे चलने से डरने लगा है.
5 वर्षीया अनाया जब भी खुद से खाना खाने या अपना बैग लगाने की कोशिश करती है तो मां रीना यह कहकर उसे रोक देती है कि रहने दो तुम नहीं कर पाओगी इससे अनाया को भी अब लगने लगा है कि वह नहीं कर पायेगी क्योंकि अब वह स्वयं कोशिश करने की अपेक्षा पहले ही बैग लगाने के लिए आवाज लगाती है.
बच्चा जन्म के समय बिल्कुल गीली मिट्टी अथवा आटे के समान होता है आप जैसा उसे बनाते हैं वह वैसा ही बन जाता है. वर्तमान में परिवार में आमतौर पर एक या दो बच्चे ही होते हैं जिन्हें अभिभावक बड़े लाड़ प्यार से पालते हैं परन्तु कई बार उनका यह अति लाड़ प्यार धीरे धीरे उनके आत्मविश्वास को कम करने लगता है जिससे उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास ही नहीं हो पाता जो बड़े होने पर उसके लिए ही नुकसानदेह साबित होता है. प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिनका ध्यान रखकर आप अपने बच्चे में आत्मविश्वास की वृद्धि कर सकते हैं-
-प्रशंसा करें
रीमा ने जैसे ही ऑफिस से आकर घर में प्रवेश किया तो देखा कि रोज की अपेक्षा आज घर बड़ा ही व्यवस्थित नजर आ रहा है ....उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसकी 5 वर्षीया बेटी ने किया है उसने अपनी बेटी को गले लगाकर शाबासी दी जिससे बेटी हर रोज ही कोई न कोई कार्य करने का प्रयास करती है. बच्चा जब भी कोई कार्य करे भले ही वह उस कार्य को करने में असफल हो जाये आप उसके प्रयास की सराहना अवश्य करें ताकि भविष्य में वह कार्य को करने से डरे नहीं. आपके द्वारा की गई तारीफ उसके उत्साह में वृध्दि करेगी जिससे वह नए कार्य को करने में भी हिचकिचएगा नहीं.