आजकल शादी (Married Life) के 2-3 साल के भीतर ही तलाक होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. व्यवहार विशेषज्ञों, मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों की मानें तो सगाई से शादी के बीच के 2-3 महीनों और विवाह के शुरुआती 3 महीनों में भावी दंपती या विवाहित जोड़े की कंपैटिबिलिटी का पता चल जाता है. भावी या हो चुके पतिपत्नी अपने इस गोल्डन पीरियड में आपस में कैसे बातें करते हैं और एकदूसरे के साथ कैसे पेश आते हैं, इस पर रिश्ते के सफल या असफल होने का दारोमदार होता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक ये निम्न बातें यह संकेत बहुत जल्दी दे देती हैं कि यह रिश्ता टिकने वाला नहीं और यदि टिक भी गया, तो इस में सिवा कड़वाहट के कुछ नहीं रहने वाला:
व्यक्तित्व को कम कर के आंकना:
साइकोथेरैपिस्ट एवं लेखिका एबी रोडमैन का मानना है कि जब भावी पति या पत्नी एकदूसरे के व्यक्तित्व को कम कर के आंकते हैं, उन के पेशे या व्यवसाय को घटिया या दोयम दर्जे का समझते हैं या फिर किसी दूसरे को उस के बारे में बताने में संकोच महसूस करते हैं, तो ये लक्षण रिश्ते के लिए अच्छे नहीं माने जाते. ऐसे जोड़े जिंदगी भर अपने पार्टनर को कमतर समझ कर उस से खराब व्यवहार करते हैं. बारबार पार्टनर को घटिया पेशे में होने का एहसास करा कर उस का जीना दूभर कर देते हैं, उस के मन में हीनभावना भर देते हैं. नतीजतन घर में आए दिन कलह रहने लगती है और फिर जल्द ही संबंधों के तार ढीले पड़ जाते हैं.
सोच और शौक हैं अलगअलग: