एक साथ कई काम करने के चक्कर में आप अवसाद से न घिरे इसलिए इन बातों को जिंदगी में जरूर अपनाइए:
1. प्रतिक्रिया दें:
जो कुछ भी आप के चारों ओर घट रहा है, उस के प्रति अपनी प्रतिक्रिया अवश्य व्यक्त करें. सब कुछ चुपचाप रोबोट की तरह न स्वीकारें. परिवर्तन की प्रक्रिया से उत्पन्न अपनी भावनाओं को स्वीकार करें. याद रखें, आप की भावनाओं को आप से बेहतर और कोई नहीं जान सकता. क्षमता से अधिक काम न करें: घर हो या दफ्तर, अच्छा बनने के चक्कर में न पड़ें. याद रखें, यदि आप अपनी क्षमता से बढ़ कर काम करेंगी तो आप को कोई मैडल तो मिलेगा नहीं, बल्कि लोगों की अपेक्षाएं और बढ़ जाएंगी. दूसरे-गलतियों का खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा. आज का जमाना टीम वर्क का है. इस से दूसरे के बारे में जानने या समझने में तो मदद मिलती ही है, थकान व तनाव से भी राहत मिलती है. घर के काम में भी घर वालों की मदद लें.
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2. पौजिटिव सोच:
गलतियों के लिए आप जिम्मेदार हैं, इस भावना को दिल से निकाल दें. इसी तरह दफ्तर में कोई प्रोजैक्ट हाथ से निकल गया हो, तो ‘‘यह काम तो मैं कर ही नहीं सकती’’ या ‘‘मैं इस काम के लायक ही नहीं हूं’’ जैसे नकारात्मक विचार दिमाग में न आने दें.
3. बनिए निडर:
कई बार मातापिता से मिले व्यवहार की जड़ें इतनी गहरी हो जाती हैं कि वयस्क होने पर भी उन से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है. कुछ महिलाएं असंतुष्ट रिश्तों को सारी उम्र इसलिए बनाए रखती है, क्योंकि वे डरती हैं कि इन रिश्तों को तोड़ने से समाज में बदनामी होगी. लेकिन सच तो यह है कि आज के इस मशीनी युग में लोगों को इतनी फुरसत ही कहां है, जो दूसरों के बारे में सोचें. सभी अपनी दुनिया में जी रही हैं. इसी तरह यदि दफ्तर में भी अपने बौस से तालमेल न बैठा पा रही हों, तो तबादला दूसरे विभाग में करा लें.
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