ब्रैस्ट फीडिंग न सिर्फ शिशु के लिए अच्छी मानी जाती है, बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद आवश्यक है क्योंकि ब्रैस्ट फीडिंग कराने से भविष्य में ब्रैस्ट कैंसर और यूटरस कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. इस के अतिरिक्त यह गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजन को कम करने में भी मदद करता है.

स्तनपान कराने की तकनीक

बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही उसे अपने स्तन से लगा लें.

शिशु को स्तनपान कराते समय इस बात का ध्यान रखें कि आरामदायक आसन में बैठी या लेटी हों. इस बात का भी ध्यान रखें कि स्तनपान कराते समय शिशु का चेहरा स्तन की दिशा में हो और उस का पेट आप के चेहरे की दिशा में हो.

शिशु के मुंह से तब तक स्तन न हटाएं जब तक वह खुद मुंह न फेरे. कई बार बच्चा दूध पीतेपीते सो जाता है लेकिन दूध पीना बंद नहीं करता.

स्तनपान के समय होने वाली आम समस्याएं

अतिरिक्तता: शिशु के जन्म के कुछ दिन बाद आप के स्तन में अतिरिक्त दूध बनने की दशा में सूजन और दर्द हो सकता है. इस तकलीफ से नजात पाने के लिए शिशु को जल्दीजल्दी स्तनपान कराएं.

निपल में दरार पड़ना: यह स्थिति तब आती है जब स्तनपान के समय शिशु सही तरह से निपल मुंह में नहीं लेता. निपल के फटने पर उस पर नारियल का तेल या फिर अपने ही स्तन से निकला हुआ दूध लगाएं. दर्द की स्थिति में डाक्टर से सलाह लें.

डकार दिलवाने में दिक्कत: शिशु को प्रत्येक फीड के बाद डकार दिलाना जरूरी है. इस के लिए शिशु को अपने कंधे के सहारे लें और आहिस्ताआहिस्ता उस की पीठ सहलाएं.

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