कृति औफिस में काम कर रहे अपने पिता को जबतब फोन कर देती है. कभी किसी रेस्तरां में चलने, तो कभी किसी नई फिल्म के लिए फ्रैंड के घर जाने या किसी पार्टी में जाने के लिए. कृति हर जगह अपने डैडी को ले जाना पसंद करती है. इसलिए नहीं कि उस के डैडी बाकी फ्रैंड्स के पिताओं की तुलना में यंग हैं बल्कि इसलिए क्योंकि उसे अपने डैडी की कंपनी काफी पसंद है. कृति के पिता न सिर्फ अपनी इकलौती बेटी की जरूरतों का खयाल रखते हैं बल्कि उस की हर छोटी से बड़ी बात भी उस के बोलने से पहले ही सम झ जाते हैं.
दरअसल, कृति के पिता चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, अपनी प्यारी बिटिया के लिए हमेशा फ्री रहते हैं. यही वजह है कि स्कूल के टीचर्स से ले कर कृति के फ्रैंड्स तक सब कृति के पिता की मिसाल देते हैं.
बेटी-पिता की दोस्ती
एक वक्त था जब बेटियों को घर की इज्जत मान कर उन्हें पाबंदियों में रखा जाता था. पहननेओढ़ने से ले कर उन की हर चीज पर नजर रखी जाती थी. लेकिन अब फादर काफी बदल गए हैं. वे बेटियों पर लगाम लगाने के बजाय उन की हर इच्छा को अपनी इच्छा सम झ कर पूरी करते हैं. फिर चाहे बात कपड़ों की हो अथवा घूमने की. बदलते वक्त के साथ अब यह प्यार और ज्यादा गहरा हो चला है.
बेटियों को मिलने लगी है स्पेस
ऐसी नहीं है कि पिता हर वक्त बेटियों पर चिपके ही रहते हैं बल्कि अब बेटियां ही पिता के साथ वक्त बिताना पसंद करने लगी हैं. कृति के स्कूल में कई दोस्त ऐसे भी हैं जो कृति को अकसर चिढ़ाते हैं कि देखों कृति आज अपने बौयफ्रैंड के साथ आई है. लेकिन बजाय इस बात पर चिढ़ने के कृति इसे मजाक के रूप में लेती है और फख्र से सब के सामने बोलती है हां मेरे पापा मेरे बौयफ्रैंड हैं. किसी को कोई दिक्कत? कृति का यह रूप देख कर हरकोई मुसकराए बिना नहीं रह पाता.