आज के दौर में रिश्तों का बनना और टूटना दोनों ही तेजी से बदल रहे हैं. पहले जहां रिश्ते लंबे समय तक टिकते थे, अब वहीं युवाओं के बीच रिश्तों का टूटना एक आम घटना हो गई है. बदलती जीवनशैली, व्यस्तता और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के कारण आज के युवा अपने रिश्तों को स्थिर बनाए रखने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. अकसर जब रिश्तों के अंत की बात आती है, तो समाज का ध्यान तलाक की ओर जाता है, लेकिन सचाई यह है कि ब्रेकअप (Breakup) भी तलाक जितना ही गंभीर मुद्दा है और इस का जोड़ों पर गहरा असर पड़ता है.
ब्रेकअप और तलाक : समानता और गंभीरता
तलाक और ब्रेकअप दोनों ही रिश्तों के अंत का प्रतिनिधित्व करते हैं और भावनात्मक, मानसिक और सामाजिक प्रभाव में समान रूप से देखा जाता है. हालांकि तलाक में एक कानूनी प्रक्रिया शामिल होती है, जिस से इसे अधिक सार्वजनिक ध्यान मिलता है, लेकिन ब्रेकअप, जिस में यह प्रक्रिया नहीं होती, उसे कम गंभीर नहीं समझा जाना चाहिए.
एक ब्रेकअप भी व्यक्ति को उतनी ही मानसिक और भावनात्मक पीड़ा दे सकता है जितना कि तलाक. जब कोई रिश्ता खत्म होता है, चाहे कानूनी रूप से या फिर भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ हो, उस की गहराई और प्रभाव दोनों लगभग एकसमान ही होते हैं. एक लंबे समय तक साथ रहने वाले जोड़े ने अपने सपनों, योजनाओं और जीवन के अहम पहलुओं को साझा किया होता है और जब यह रिश्ता टूटता है, तो व्यक्ति का आत्मविश्वास, मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की दिशा पर गहरा प्रभाव पड़ता है. यह नुकसान तलाक के दर्द से कुछ कम नहीं होता.