जब विवाह टूट जाएं विवाह में जोखिम भी होते हैं. यह सपनों की दुनिया नहीं है. यहां फूलों के बाग हैं तो गड्ढे भी हैं, दलदल भी हैं... राधिका अमेरिका में नौकरी कर रही थी. वह जब भी अपने माता-पिता से मिलने भारत आती तो शादी कराने के इरादे से राधिका के माता-पिता अखबार में इश्तिहार देते. एक बार अजय जो एनआरआई था का रिश्ता आया. जांचपड़ताल, मिलनेजुलने के बाद मुंबई निवासी अजय से राधिका की शादी तो होती है पर शादी की पहली रात ही राधिका को पता चलता है कि अजय को भयंकर चर्मरोग है जो उस की पीठ पर पूरी तरह फैल चुका है.
राधिका घबरा गई और कमरे से निकल आई. अजय के परिवार के सारे सदस्य इस बात से परिचित थे पर राधिका के नहीं. अगली सुबह जब राधिका के मातापिता को पता चला तो अपनी बेटी को अपने घर बुला लिया. बाद में यह रिश्ता आपसी सहमति से राधिका ने खुद तोड़ दिया. अब करीब 2 साल बाद राधिका ने अपनी पसंद के एक लड़के से शादी कर ली और खुश है मगर इस सब का प्रभाव राधिका की मां लता पर पड़ा. जब उन्हें दामाद के बारे में पता चला था तो उन्होंने डाक्टर से बात कर उस के रोग का पता लगाया पर पता चला कि ऐसे रोग सिर्फ जानवरों में होते हैं.
मनुष्यों में 1 हजार व्यक्तियों में सिर्फ 1 को होता है. यह लाइलाज है. इस का प्रभाव आने वाली पीढ़ी को भी हो सकता है. ऐसा सुनने पर इस रिश्ते को जोड़े रखना उचित नहीं था इसलिए तोड़ना पड़ा. इस का अर्थ यह है कि जब लगे कि शादी का यह रिश्ता अब आगे नहीं चल सकता तब उसे तोड़ देना ही बेहतर होता है. इस बारे में मुंबई की मैरिज काउंसलर कहती हैं कि शादी के रिश्ते को तोड़ने से पहले कुछ बातों की बारीकियों को अवश्य परख लें. द्य आत्म निरिक्षण करें, संबंधों को बढ़ाने की या उन में सुधार लाने की कोशिश करें. द्य शादी पूरी तरह से बिना शर्तों के स्वीकार होनी चाहिए.