श्वेता पहली बार मां बन कर काफी खुश थी. बच्चे के स्पर्श से उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसे दुनिया भर की खुशियां मिल गई हों. लेकिन कुछ ही दिनों बाद वह परेशान रहने लगी. वह समझ ही नहीं पा रही थी कि उस का कृष इतना रोता क्यों है.
दरअसल, छोटे बच्चे के रोने में एक मैसेज छिपा होता है. वह रो कर अपनी मां को कम्युनिकेट करता है कि उसे भूख लगी है. न्यूट्री किड चाइल्ड ऐंड ऐडौलेसेंट क्लीनिक की डा. रिती शर्मा दयाल बताती हैं, ‘‘छोटे बच्चे बहुत ही नाजुक होते हैं. उन पर मौसम का जल्द असर होता है. उन्हें बहुत जल्दी ठंड तो बहुत जल्दी गरमी लगने लगती है. इसी वजह से वे रोते हैं. अधिकांश समय बच्चे भूख लगने की वजह से भी रोते हैं. इसलिए उन्हें थोड़ेथोड़े समय के अंतराल में दूध पिलाती रहें वरना उन्हें कौलिक की समस्या होने लगती है यानी पेट में गैस बनने लगती है, जिस की वजह से बच्चे रोते हैं.’’
रोने के कारण
भूख लगने पर: भूख लगने के कारण न्यू बौर्न बेबी सब से ज्यादा रोते हैं. उन का पेट छोटा होता है इसी वजह से उन्हें एक बार में दूध नहीं पिलाया जा सकता. उन्हें थोड़ेथोड़े अंतराल में दूध पिलाने की जरूरत पड़ती है. इसलिए जब भी बच्चा रोए तो उसे दूध पिलाएं. अगर बच्चा स्तनपान करता है तो उसे दिन में 8-12 बार स्तनपान कराएं.
गीले व गंदे डायपर की वजह से: गीलापन भला किसे अच्छा लगता है. छोटे बच्चे गीली नैपी में असहज महसूस करते हैं. ज्यादा देर तक बच्चों को गीली नैपी में रखने से रैशेज हो जाते हैं, जिस की वजह से बच्चे बहुत रोते हैं. जब भी बच्चों को नैपी पहनाएं तो समयसमय पर चैक करती रहें कि नैपी गीली तो नहीं है और गीली होने पर तुरंत बदल दें.