Young Couples : साइबर पेरैंटिंग उन सभी मातापिता के लिए है जिन के बच्चे स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं. दिनोंदिन बढ़ते साइबर अपराधों के चलते आजकल के पेरैंट्स के लिए बच्चों को साइबर पेरैंटिंग के लिए जागरूक करना आवश्यक हो गया है. साइबर पेरैंटिंग में मातापिता द्वारा बच्चों को डिजिटल गैजेट के उपयोग और खतरों दोनों के बारे में समझाना है, साथ ही डिजिटल गैजेट का उपयोग कर के बच्चों की औनलाइन गतिविधि की निगरानी करना और बच्चों के डिजिटल उपकरणों के उपयोग को सीमित करना भी है.
डिजिटल पेरैंटिंग अपने बच्चों को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रूप से नेविगेट करने के लिए आवश्यक है. यह बच्चों में डिजिटल स्किल डैवलप करने में जरूरी मदद भी करती है.
आजकल बच्चे बोलना बाद में सीख रहे है और मोबाइल चलना पहले क्योंकि आजकल मातापिता अपने बिजी लाइफस्टाइल के कारण बच्चों को छोटी उम्र में ही मोबाइल पकड़ा देते हैं जोकि आगे चल कर मुश्किल भरा भी हो सकता है क्योंकि वे आधुनिक ऐप्स और सोशल मीडिया का उपयोग कम उम्र से ही करने लगते हैं और उन पर गेम्स खेलने लगते हैं जिस के चलते डिजिटल गैजेट्स और इंटरनैट की लत बच्चों में कम उम्र में ही लग जाती है और तब कई बार बच्चे इंटरनैट पर मौजूद चीजों में इतने मशगूल हो जाते हैं कि उन्हें इन के अलावा कुछ और नजर नहीं आता है.
पेरैंट्स के लिए डिजिटल दौर में सब से बड़ी चुनौती यही है कि वे अपने बच्चों को इंटरनैट के सही इस्तेमाल के बारे में बताएं और उन के औन स्क्रीन टाइम पर भी नजर बनाए रखें.
इंटरनैट और डिजिटल दुनिया के संभावित खतरों को ध्यान में रखते हुए मातापिता को सक्रिय और सतर्क रहने की खास जरूरत है क्योंकि इंटरनैट का उपयोग करने से होने वाली कुछ नैगेटिव बातें जो आप के बच्चे कर सकते हैं:
बच्चों का अश्लील कंटैंट पर ऐक्सैस.
अजनवबियों से कौंटैक्ट.
हिंसात्मक कंटैंट पर ऐक्सैस.
औनलाइन बुलिंग का शिकार आदि.
ऐसे में बच्चों को यह बताना जरूरी हो जाता है कि सोशल मीडिया का उपयोग करते समय बच्चों को इन बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है:
औनलाइन दुनिया में कुछ लोग झूठी या फेक प्रोफाइल से अकाउंट बनाते हैं.
किसी भी अनजान व्यक्ति से न मिलें खासकर उन से जिन्हें वे नहीं जानते.
अनजान व्यक्ति से औनलाइन संपर्क में न रहें.
द्य बच्चों को बताएं कि अगर औनलाइन उन के साथ कुछ गलत होता है, किसी ईमेल या मैसेज के द्वारा कोई परेशान कर रहा है तो पेरैंट्स से उस के बारे में अवश्य बताएं.
रखें नजर या नियंत्रण
आज के समय में कम उम्र के बच्चे भी सोशल मीडिया पर पूरी तरह से ऐक्टिव रहते हैं. इसलिए जिम्मेदार और सतर्क अभिभावक के रूप में आप को इस बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि आप का बच्चा सोशल मीडिया का इस्तेमाल किस तरह से कर रहा है. बच्चों की प्राइवेसी में दखल किए बिना आप को उन की ऐक्टिविटीज पर नजर जरूर रखनी चाहिए.
कैसे रखें नजर या नियंत्रण
सोशल मीडिया पर स्ट्रौंग प्राइवेसी सैटिंग लगाएं.
यदि बच्चों का फोन अलग है और कोई पासवर्ड आदि डला हुआ है तब उन से पासवर्ड पूछ कर रखें ताकि समयसमय पर आप देख सकें कि बच्चा क्याक्या ऐक्टिविटीज करता है
पेरैंटल कंट्रोल से इंटरनैट को फिल्टर कर सकते हैं. कुछ वैबसाइटों को बच्चों की पहुंच से दूर रख सकते हैं. इसे करने के लिए आप अपने इंटरनैट प्रोवाइडर से बात कर सकते हैं या विंडोज अथवा थर्ड पार्टी सौफ्टवेयर में बनाए गए पेरैंटल कंट्रोल का उपयोग कर सकते हैं.
ऐसी प्रोफाइल बनाने में मदद करें जिन में पर्सनल इन्फौर्मेशन कम हो. गूगल और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया साइट्स पर सेफ सर्च इस्तेमाल करें.
कैसे लगाएं पेरैंटल कंट्रोल
यदि आप चाहते हैं कि आप का बच्चा गूगल प्ले स्टोर से कोई गलत ऐप या गेम अथवा फिल्म डाउनलोड न करे तो आप इस तरह से पेरैंटल कंट्रोल लगा सकते हैं ताकि वह फिशिंग और मालवेयर के खतरों से बच सके और आप के स्मार्टफोन का डेटा भी सुरक्षित रहे:
सब से पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाएं. फिर इस की सैटिंग में जाएं और पेरैंटल कंट्रोल को सलैक्ट करें और इसे औन करें. ऐसा करते ही आप से यह पिन मांगेगा. इस में आप को अपना पिन डालना है जो बच्चों को न पता हो. अब जो स्क्रीन खुलेगी उस में आप सभी रिस्ट्रिक्शन सैट कर सकते हैं. क्या और कैसी फिल्में, कैसे ऐप्स, कैसी गेम्स बच्चों के लिए सही हैं वे सभी आप तय कर सकते है.
बच्चों की स्क्रीन टाइम की लिमिट तय करें
साइबर पेरैंटिंग के दौरान बच्चों को गलत आदतों की चपेट में आने और गलत दिशा में जाने से बचाने के लिए उन की स्क्रीन टाइम पर नजर जरूर रखनी चाहिए. चाहे सोशल मीडिया नैटवर्क हो या ओटीटी प्लेटफौर्म, किसी चीज का कितना इस्तेमाल करना सही है, इस की जानकारी बच्चों को जरूर देनी चाहिए.
कम यूज में आने वाली ऐप्लिकेशन के नोटिफिकेशन को बंद करें.
द्य जो भी ऐप्स कम इस्तेमाल में आते हैं या जो अनुपयोगी हैं उन्हें डिलीट कर दें ताकि उन से रिलेटेड नोटिफिकेशंस और मैसेजस न आएं नहीं तो उन्हें देखने में स्क्रीन का टाइम बढ़ेगा. ऐसा कर के आप स्क्रीन टाइम को बचा सकते हैं.
बच्चों की बात सुनें और समझाएं
आजकल इंटरनैट पर कईकई घंटे बिताने के बाद कई बच्चे ऐसे होते हैं जो साइबर बुलिंग और साइबर हैरसमैंट जैसी परेशानियों से 2-4 हो रहे हैं और वे आप से शेयर नहीं कर रहे है जिस के कारण वे मन ही मन परेशान बने हुए रहते हैं. ऐसे में जब आप उन की बात सुनेंगे तो वे अपनी फीलिंग्स आप से शेयर कर पाएंगे और अगर आप उन की बात नहीं सुनेंगे तो उन्हें लगेगा कि वे अकेले हैं इसलिए बच्चों से हर दिन बात करें, उन की समस्या सुनें, उसे सुल?ाएं और उन्हें अच्छी चीजों की जानकारी दें.
अपने बिजी लाइफस्टाइल से समय निकाल कर रोज बच्चों के साथ बातचीत करें. उन का दिन कैसा गुजरा, क्याक्या ऐक्टिविटीज कीं आदि, छुट्टी के दिन उन के साथ उन की पसंद की किसी भी ऐक्टिविटी में अपना समय लगाएं, हफ्ते में 1 दिन मोबाइल, टीवी, लैपटौप, कंप्यूटर से दूर रह कर उन के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं.
आजकल किशोर सोशल मीडिया प्लेटफौर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, डेटिंग ऐप आदि का सब से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं इसलिए वे औनलाइन रहने के आदी हो जाते हैं. यह उन के सामाजिक जीवन और अन्य दैनिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. इस से स्क्रीन टाइम भी बढ़ जाता है. इसलिए एक अच्छा साइबर पैरेंट वह होता है जो अपने बच्चों के जीवन में शामिल होता है. उन्हें बिना बताए इंटरनैट पर उन की गतिविधियों पर नजर बनाए रखे. लगातार उन के व्यवहार में आ रहे बदलाव पर नजर बनाए रखें.